रामपुर–(भूमिक मेहरा) बालिका के साथ दुष्कर्म के दोषी को कोर्ट ने 20 साल की कैद और एक लाख रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई है। कोर्ट ने 26 दिन में अपना फैसला सुनाया है। नए कानून के तहत जिले में पहली सजा है। 27 अगस्त को मामले में आरोप तय होने के बाद कोर्ट ने मात्र 12 तारीखों में यह फैसला सुना दिया। अदालत ने इस मुकदमे का संज्ञान 21 अगस्त को लिया था। मामला बिलासपुर कोतवाली क्षेत्र की एक कॉलोनी से जुड़ा है। कॉलोनी निवासी एक मजदूर की पांच वर्ष की बेटी अपनी बहन दो वर्षीय बहन के साथ घर में खेल रही थी। पड़ोस में ही रहने वाला आरोपी अश्वनी उसकी गैर मौजूदगी में घर में घुस गया और उसकी बेटी के साथ दुष्कर्म किया। चीखने पर बालिका की मां और पिता आ गए। आरोपी मौके से फरार हो गया। परिजन बालिका को लेकर पहले रुद्रपुर और फिर हल्द्वानी के अस्पताल पहुंचे, जहां पर उसका उपचार हुआ। घटना की रिपोर्ट वादी ने ग्राम बांदा भड़याल थाना ताडीयावावा जिला हरदोई निवासी अश्वनी के खिलाफ दर्ज कराई।
पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की। शनिवार को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट रामगोपाल सिंह की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुमित शर्मा ने वादी मुकदमा सहित आठ गवाहों के बयान दर्ज कराए।
साथ ही बालिका की मेडिकल रिपोर्ट और बयानों का हवाला देते हुए आरोपी को कड़ी सजा देने की मांग की। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आरोपी को झूठा फंसाया गया है। घटना का कोई स्वतंत्र साक्षी नहीं है, लिहाजा आरोपी को बरी किया जाए।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अश्वनी को दोषी मानते हुए 20 साल की कैद और एक लाख रुपये का जुर्माना अदा करने की सजा सुना दी।
इससे पहले दो ऐसे मामलों में 40 दिन में आ चुका है फैसला
इससे पहले कोर्ट ने दुष्कर्म के दो मामलों में 40 दिन में फैसला सुनाया था, जिसमें एक मामला अजीमनगर थाना क्षेत्र के एक गांव का है। जिसमें दुष्कर्म करने वाले दोषी हेमकरन को छह साल की बालिका के साथ दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जबकि दूसरा मामला स्वार कोतवाली क्षेत्र का है, जिसमें कोर्ट ने दोषी कुलदीप को 40 दिन में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।