आर.टी.आई.से मिली एक जानकारी के अनुसार भारत में पिछले 13 वर्षों में लगभग 1357 हाथियों की मौत हुई है, जिसमें करेंट से 898, ट्रेन से कटकर 228, पोचिंग में 191 और कुल 40 हाथी जहर खिलाकर मौत के घाट उतार दिए गए हैं।
हल्द्वानी निवासी आर.टी.आई.कार्यकर्ता हेमंत गौनिया ने बीते जून माह में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी, प्रधानमंत्री कार्यालय से कुछ सूचनाएं मांगी थी। आर.टी.आई.में पूछा गया कि भारत मे कितने बाघ, शेर, हाथी, तेंदुए, मगरमच्छ और सांप हैं ? इसके अलावा पूछा गया कि इन जानवरों में से कितने मर चुके हैं, किस प्रदेश में सबसे ज्यादा मरे और सबसे ज्यादा कहाँ उपलब्ध हैं ? ये भी पूछा गया कि पिछले दस वर्षों में इनके रखरखाव और इनकी प्रजाति बढ़ाने में कितना खर्च किया गया ?
जुलाई माह में प्रोजेक्ट हाथी के वैज्ञानिक डॉ.मुथामिज़ सेलवन की तरफ से आए जवाब में कहा गया कि केंद्रीय वन मंत्रालय राज्य और यू.टी.को केंद्रीय स्कीम के अंतर्गत आर्थिक सहायता देता है।
बताया गया कि वर्ष 2014-15 में जहां वन्यजीव के हैबिटेट बचने के लिए भारत के राज्यों को ₹6588.99857 मिलते थे, वहीं वर्ष 2022-23 में ये धनराशि ₹5648.84523 हो गई। केंद्र ने हाथी संरक्षण में वर्ष 2014-15 में उत्तर प्रदेश में ₹5.16 लाख तो उत्तराखण्ड में ₹103.908खर्च किये, जबकि वर्ष 2022-23 में अबतक दोनों राज्यों के सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं हुए हैं।
आर.टी.आई.में बताया गया है कि हाथियों को जहर देने से 2009 से अबतक उत्तरप्रदेश और ऊत्तराखण्ड में कोई मौत नहीं हुई है। ये भी बताया गया है कि आसाम में वर्ष 2009-10 से अबतक 40 हाथियों की जहर देकर मौत हो चुकी ही। वर्ष 2009-10से अबतक एक एक हाथी की तस्करी(पोचिंग)दर्ज हुई है।
वहीं बताया गया है कि वर्ष 2009-10 में देशभर में 12 हाथी तो वर्ष 2014-15 में 34 और
हाथियों की अनुमानित संख्या में नार्थ ईस्ट के अरुणाचल, असम, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, वेस्ट बंगाल, मणिपुर और मिज़ोरम में मिलाकर 10,139 हाथी हैं। ईस्ट सेंट्रल रीजन में ओडिसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्यप्रदेश और पश्चिम बंगाल(दक्षिण)में 3,128 हाथी हैं।
नार्थ वेस्ट रीजन में ऊत्तराखण्ड, उत्तरप्रदेश, हरयाणा और हिमांचल में 2,085 हाथी हैं और साउथ रीजन के कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और अंडमान निकोबार आइलैंड में 14,612 हाथी हैं और इनका राष्ट्रभर का योग 29,964 है।
गुजरात में एशियाटिक शेरों की संख्या 674 बताई गई है।
2022-23 में 14 हाथियों की तस्करी हुई है। हाथियों को करेंट लगने से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, ये 2009-10 में 65 तो इस वर्ष 100 मौत की नींद सो चुके हैं। ऊत्तराखण्ड में इस दौरान 27 हाथियों की बिजली का झटका लगने से मौत हुई है। बिजली का झटका लगने से वर्ष 2009-10 से अबतक आश्चर्यजनक 898 मौतें दर्ज हुई हैं। सूचना के अधिकार में हाथियों की ट्रेन से कटकर मौत की संख्या वर्ष 2009-10 में 12 तो 2012-13 में सबसे अधिक 27 मौतें हुई, जबकि इस वर्ष अबतक 15 मौतें हो चुकी दर्शाई गई हैं।