नैनीताल : उत्तराखंड के मन्दिरों की दिव्य शक्ति के बारे में हर कोई जानता है। यहां ऐसे ऐसे चमत्कार होते हैं कि विज्ञान भी चकित हो जाता है। कई ऐसे मंदिर है जो अपनी अलौकिक शक्तियों से हजारों लोगों का भला कर चुके हैं। बड़ी से बड़ी बीमारियां भी इन मंदिरों में जाने से ठीक हो जाती हैं। वैज्ञानिक भी इसको लेकर चकित हैं कि आखिर ऐसा मुमकिन कैसे है। मगर ऐसा सच में है। आज हम आपको नैनीताल के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी अलौकिक शक्तियों को सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे।
नैनीताल में झील के उत्तरी छोर में स्थित मां नयना देवी का मंदिर पूरे देश में अपना खास महत्व रखता है। हर साल लाखों की संख्या में देश के विभिन्न हिस्से से लोग माता के दर्शन करने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान शिव माता सती की मृत देह को लेकर कैलाश की तरफ जा रहे थे, तो अलग-अलग स्थान पर माता के शरीर के अंग गिरे. जहां-जहां माता के अंग गिरे, उन जगहों में माता के शक्तिपीठ स्थापित हो गए। माता सती का बायां नेत्र इस जगह पर गिरा था, वहां आज नैनीताल (मंदिर स्थल) है। मंदिर के भीतर मां दो नेत्र रूप में विराजमान हैं। साथ ही, मां की मूर्ति के साथ-साथ भगवान गणेश और मां काली भी मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान हैं।
हर वर्ष देश के विभिन्न कोने से लाखों श्रद्धालु मां नयना देवी मंदिर में दर्शन करने आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि कुछ साल पहले एक महिला अपनी बेटी की आंखों से संबंधित बीमारी के इलाज के लिए नेपाल से नैनीताल के माल रोड में स्थित सीतापुर आई हॉस्पिटल आई थी। महिला अपनी बच्ची के साथ मां के दर्शन के लिए पहुंची और यहां आकर मन्नत मांगी। मां के दर्शन के बाद जब महिला दोबारा अस्पताल पहुंची, तो डॉक्टर ने बच्ची की आंखों की जांच की और पाया कि उसकी आंखों की रोशनी बिल्कुल ठीक है। जी हां, तो अगर आप भी नैनीताल है उसके आसपास है या फिर आने वाले वक्त में नैनीताल घूमने का प्लान बना रहे हैं तो नयना देवी मंदिर जरूर जाएं और देवी की अलौकिक शक्तियों से रूबरू हों।
हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन से नैनीताल के लिए कैब, टैको और बसें आसानी से उपलब्ध हैं। शहर में पर्यटक पैदल चलकर मंदिर जा सकते हैं या टैक्सी से वहां पहुंच सकते हैं। यह स्थानीय बस स्टैंड से 300 मीटर की दूरी पर स्थित है।