ये दिशानिर्देश क्या हैं?
- बाल विवाह की रोकथाम के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया जाए
- बाल विवाह को रोकने की ज़िम्मेदारी ज़िला प्रशासन की होगी. इसमें खासकर कलेक्टर और मैजिस्ट्रेट की भूमिका होगी
- बाल विवाह रोकने के लिए स्पेशल पुलिस यूनिट और स्पेशल यूनिट का गठन किया जाए
- मैजिस्ट्रेट को स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करने का अधिकार मिले
- बाल विवाह मामले के लिए स्पेशल कोर्ट का गठन किया जाए
- जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जाए
इसके साथ ही जजों ने कहा, “लापरवाह सरकारी अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई हो.” कोर्ट ने इसके अलावा आदेश की कॉपी 4 हफ्तों के भीतर संबंधित मंत्रालयों के सचिव को भेजने और निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा है.
हालांकि अदालत ने इसको लेकर कोई फैसला नहीं सुनाया कि बाल विवाह कानून पर्सनल लॉ को प्रभावित करेगा या नहीं.