कहा- ‘अधिक काम, कम वेतन’, यूके से लौटे भारतीय डॉक्टर ने खोली वेतन और काम की सच्चाई

हाल ही में एक भारतीय डॉक्टर ने यूके में काम करने के अपने अनुभव को साझा किया, जिसमें उन्होंने वहां की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और जीवन के वास्तविक पहलुओं पर प्रकाश डाला। कई भारतीयों ने विदेशों में बेहतर करियर और वित्तीय स्थिति की तलाश में बसने का विकल्प चुना है। यूके, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे देश अक्सर उच्च वेतन और करियर विकास के अवसरों के लिए आकर्षित करते हैं। हालांकि, कई भारतीयों को अपने इस अनुभव से कुछ कठिनाईयों का सामना भी करना पड़ता है, जिसके बाद वे अपनी मातृभूमि वापस लौटने का निर्णय लेते हैं। ऐसे ही एक डॉक्टर ने हाल ही में यूके से लौटने के पीछे के कारणों को बताया और वहां के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र और आर्थिक स्थिति की सच्चाई को सामने रखा।

डॉक्टर ने अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि यूके जाने के समय उन्हें उम्मीद थी कि वहां उन्हें अच्छे पेशेवर अवसर मिलेंगे, वित्तीय स्थिरता मिलेगी, और जीवन स्तर में सुधार होगा। लेकिन वहां रहकर उन्हें जो वास्तविकता सामने आई, वह उनके लिए निराशाजनक थी। उन्होंने Reddit पर अपनी पोस्ट में लिखा, “एक भारतीय डॉक्टर के रूप में, जब मैंने PLAB परीक्षा पास की और यूके में जीवन बनाने की योजना बनाई, तो मुझे लगा कि यहां पेशेवर अवसर, वित्तीय स्थिरता और जीवन की उच्च गुणवत्ता मिलेगी। हालांकि, जब मैंने यूके में कुछ समय बिताया और वहां की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली तथा आर्थिक परिस्थितियों को देखा, तो मुझे एक कठोर वास्तविकता का सामना करना पड़ा।”

यूके में डॉक्टरों के लिए जीवन की कठिनाई
उन्होंने अपने अनुभव में बताया कि यूके में काम करते हुए उन्हें सबसे बड़ी समस्या अधिक काम और कम वेतन के रूप में मिली। वहां के राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) के तहत जूनियर डॉक्टरों को लंबे, थकाऊ घंटे काम करने पड़ते हैं और उनका वेतन इतना कम होता है कि मुश्किल से जीवन यापन के खर्च पूरे हो पाते हैं। इसके बावजूद, इन डॉक्टरों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है और उन्हें अक्सर सीमित संसाधनों के साथ अत्यधिक काम करना पड़ता है। इस वजह से बर्नआउट (मानसिक थकावट) और तनाव जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। उन्होंने बताया, “यूके को अक्सर विदेशी डॉक्टरों के लिए एक स्वप्न भूमि के रूप में देखा जाता है, लेकिन सच यह है कि यहां काम की अधिकता और वेतन की कमियों से जुड़ी समस्याएं हैं। एनएचएस में काम करने वाले डॉक्टरों को थकाऊ घंटों के साथ वेतन कम मिलता है, जो जीवन यापन के लिए पर्याप्त नहीं होता। इसके अलावा, लगातार बढ़ते तनाव और समर्थन की कमी के कारण बर्नआउट की समस्या बढ़ रही है।”

यूके में जीवन यापन की लागत और भारत की तुलना
डॉक्टर ने यूके में अपने वेतन के बारे में बताते हुए कहा कि वहां उन्हें 2,300 पाउंड का मासिक वेतन मिलता था, जो कागज पर ठीक लगता था। लेकिन यूके में जीवन यापन की उच्च लागत, जिसमें किराया, उपयोगिताएं और किराने का सामान शामिल हैं, ने उनकी स्थिति को कठिन बना दिया। उन्होंने यह भी बताया कि उच्च जीवन यापन लागत और काम के अत्यधिक दबाव के कारण उनका व्यक्तिगत जीवन प्रभावित हो रहा था। इसके विपरीत, भारत में जीवन यापन की लागत कम है। यहां अधिक किफायती आवास, सुलभ निजी स्वास्थ्य सेवाएं और कम दैनिक खर्च हैं, जिससे उन्हें संतुलित जीवन जीने का अवसर मिला। डॉक्टर ने बताया कि भारत लौटने का फैसला केवल वित्तीय कारणों से नहीं था, बल्कि जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए था। “भारत में जीवन की गुणवत्ता और कार्य-जीवन संतुलन के मामले में मुझे बेहतर अवसर मिले हैं, जबकि यूके आर्थिक संकट और स्वास्थ्य सेवा की अभावग्रस्त स्थिति से जूझ रहा है,” उन्होंने कहा।

भारत में संतुलित जीवन और पेशेवर विकास के अवसर
भारत लौटने के बाद, डॉक्टर ने यह महसूस किया कि उन्हें यहां अधिक पेशेवर विकास के अवसर मिले हैं और उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता के साथ बेहतर जीवन जीने का मौका मिला है। “भारत में स्वास्थ्य सेवा की अपनी चुनौतियां हैं, लेकिन यहां मुझे वह संतुलन मिला, जो मुझे ब्रिटेन में कभी नहीं मिला। यहां मुझे अधिक विकास और व्यक्तिगत संतुष्टि का अनुभव हुआ है,” उन्होंने कहा। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में रहते हुए, उन्होंने काम और निजी जीवन के बीच संतुलन पाया है, जबकि यूके में यह संभव नहीं था। “भारत में लौटने से मुझे वह संतुलन मिला जो ब्रिटेन में न था। यहां मुझे न केवल पेशेवर रूप से आगे बढ़ने का मौका मिला, बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी मैं अधिक खुश हूं।” आखिरकार, डॉक्टर ने यह संदेश दिया कि यदि कोई भी व्यक्ति विदेश जाने का विचार कर रहा है, तो उसे केवल आर्थिक लाभ या अवसरों पर ही नहीं, बल्कि उन स्थानों की सीमाओं और जीवन की गुणवत्ता पर भी विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा, “मेरे लिए, वह स्थान घर बन गया, जहां मैं पेशेवर और व्यक्तिगत दोनों रूप से आगे बढ़ सकता हूं। अगर आप विदेश जाने का विचार कर रहे हैं, तो केवल अवसरों पर ध्यान न दें, बल्कि यह भी सोचें कि आप कहां सफल होंगे और कहां आपको संतुष्टि मिलेगी।”

NEWS SOURCE Credit : punjabkesari