Uttarakhand : पकड़ में आया फर्जी शिक्षक, नकली दस्तावेज बनाकर 23 साल करता रहा सरकारी नौकरी…

Uttarakhand : पकड़ में आया फर्जी शिक्षक, नकली दस्तावेज बनाकर 23 साल करता रहा सरकारी नौकरी

उधमसिंह नगर : राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामजीवनपुर में जसपुर निवासी हरगोविंद सिंह की तैनाती पिता की मृत्यु के बाद सहायक अध्यापक के रूप में वर्ष 2000 में हुई थी। इन्होने नियुक्ति के दौरान हाईस्कूल, इंटर तथा अदीब, कामिल जामिया उर्दू अलीगढ़ के प्रमाण पत्र लगाए थे जो कि अब फर्जी बताये जा रहे हैं। Fake teacher caught, kept doing government job for 23 years

एक तरफ जहाँ प्रदेश में बेरोजगारी को लेकर मारामारी चल रही है वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग हैं जो फर्जी तरीके से नौकरी पाकर सालों बाद पकड़ में आ रहे हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग की सत्यापन प्रक्रिया पर सवाल खड़े होते हैं। मामला यूएसनगर के जसपुर का है जहाँ पर एक शिक्षक फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर नौकरी लग गया और शिक्षा विभाग को 23 साल बीतने के बाद पता चल रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक शिक्षा हरेंद्र कुमार मिश्र ने अपने आदेश में कहा है कि हरगोविंद सिंह की सहायक अध्यापक राजकीय प्राथमिक स्कूल रामजीवनपुर में मृतक आश्रित श्रेणी के अंतर्गत नियुक्ति सितंबर वर्ष 2000 में हुई थी और हरगोविंद सिंह ने नियुक्ति पाने के लिए हाई स्कूल, इंटरमीडिएट तथा अदीव ए कामिल जामिया उर्दू अलीगढ़ के प्रमाण पत्र लगाए थे। Fake teacher caught, kept doing government job for 23 years

मृतक आश्रित श्रेणी में लगी थी नौकरी

23 नवंबर 2017 को कार्यालय खंडाधिकारी अनुसंधान विभाग देहरादून ने महानिदेशक विद्यालय शिक्षा देहरादून को अवगत कराया था कि हरगोविंद सिंह की तैनाती पिता की मृत्यु के बाद सहायक अध्यापक के रूप में 2000 में हुई थी लेकिन इन्होने फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक की नौकरी प्राप्त की है। इस मामले पर प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने हरगोविंद को भी सुनवाई का अवसर देते हुए कार्रवाही की इजाजत दी। लेकिन 30 नवंबर 2017 को आरोप पत्र जारी कर सहायक अध्यापक को निलंबित कर दिया गया। Fake teacher caught, kept doing government job for 23 years

अलीगढ़ से बनाए फर्जी प्रमाण पत्र

जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि आरोपी सहायक अध्यापक को 30 जून 2020 को बर्खास्त कर दिया गया था लेकिन वह इस फैसले के खिलाफ न्यायालय चला गया। इस पर न्यायालय ने कहा कि उत्तराखंड सरकारी सेवक नियमावली के अनुसार बर्खास्तगी नहीं की गई है जिस पर विभाग ने आरोपी अध्यापक को बहाल करते हुए उसके शैक्षिक अभिलेखों की पुन: जांच करने के आदेश उप शिक्षा अधिकारी को दिए थे। जांच में प्रमाण पत्र कूटरचित पाए गए इस आधार पर उत्तराखंड सरकारी सेवक नियमावली 2003 के अंतर्गत आरोपी सहायक अध्यापक को तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है और बीती 14 मई को बर्खास्तगी के आदेश की प्रति आरोपी शिक्षक को भेज दी गई है। Fake teacher caught, kept doing government job for 23 years