चारधाम यात्रा के दूसरे चरण में भी बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर खस्ताहाल सड़क और भूस्खलन क्षेत्र चुनौती बनेंगे। ऋषिकेश से बदरीनाथ धाम तक इस राजमार्ग पर 38 भूस्खलन क्षेत्र सक्रिय हैं। इनमें भी सर्वाधिक 25 भूस्खलन क्षेत्र चमोली जिले में हैं। यहां 10 भूस्खलन क्षेत्र पहले से परेशानी खड़ी कर रहे थे।
अब वर्षाकाल में 15 भूस्खलन क्षेत्र और विकसित हो गए हैं। निरंतर हो रहे भूस्खलन के कारण राजमार्ग अब भी कई स्थानों पर मलबे से पटा है। कई स्थान ऐसे भी हैं, जहां सिंगल लेन सड़क ही बची है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सड़क को दुरुस्त करने में जुटा है, लेकिन मार्ग कब तक पूरी तरह दुरुस्त हो पाएगा, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता।
ऐसे में श्रद्धालुओं को हिचकोले खाते हुए यात्रा करनी पड़ सकती है। इस बार बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खोले गए थे और अब तक करीब 12 लाख श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर चुके हैं। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग ऋषिकेश से शुरू होता है, यहां से धाम की दूरी लगभग 291 किमी है। इस राजमार्ग पर ऋषिकेश से श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल) तक 145 किमी दायरे में 10 भूस्खलन क्षेत्र हैं।
इसके बाद रुद्रप्रयाग जिले में 44 किमी में तीन भूस्खलन क्षेत्र पड़ते हैं। चमोली जिले में राजमार्ग कमेड़ा (गौचर) से बदरीनाथ धाम तक करीब 160 किमी लंबा है। चारधाम यात्रा की तैयारी के दौरान मार्ग पर 10 भूस्खलन क्षेत्र चिह्नित किए गए थे। लेकिन, वर्षाकाल में लगातार वर्षा के चलते कमेड़ा से धाम तक 15 भूस्खलन क्षेत्र और विकसित हो गए। इनका दायरा पांच से 100 मीटर तक है। जनपद का पहला भूस्खलन क्षेत्र चमोली के प्रवेश द्वार कमेड़ा में ही है।
भनेरपानी और मैठाणा सबसे लंबे भूस्खलन क्षेत्र हैं। इन भूस्खलन क्षेत्रों में हल्की वर्षा होते ही पहाड़ियों से मलबा और पत्थर बरसने लगते हैं। इस कारण जून से अब तक चमोली में राजमार्ग विभिन्न स्थानों पर लगभग 300 घंटे बंद रहा है। जुलाई में तो राजमार्ग तीन दिन तक लगातार अवरुद्ध रहा। नए भूस्खलन क्षेत्रों के लिए पहाड़ की कटिंग को जिम्मेदार माना जा रहा है। असल में राजमार्ग चौड़ीकरण के लिए पहाड़ तो काट दिए गए, मगर सुरक्षा दीवार नहीं बनाई गई।
राजमार्ग पर प्रमुख भूस्खलन क्षेत्र
चमोली (नए भूस्खलन क्षेत्र) कमेड़ा, पंच पुलिया के पास, बाबा आश्रम के पास, लंगासू चौकी के पास, बैराजकुंज के पास, परथाडीप के पास, मैठाणा, छिनका, गडोरा, पीपलकोटी, नवोदय विद्यालय के पास, भनेरपानी-टू, वैलाकुची, गुलाबकोटी, टय्या पुल।
चमोली (पुराने भूस्खलन क्षेत्र) नंदप्रयाग, हिलेरी स्पाट के पास, बाजपुर, भनेरपानी, पागलनाला, टंगणी, खचड़ानाला, हाथी पहाड़, लामबगड़ नाला, कंचनगंगा।
ऋषिकेश से श्रीनगर तक ब्रह्मपुरी, नीरगड्डू, शिवपुरी, अटाली गंगा, सिंगटाली, ब्यासी, कौड़ियाला, तोताघाटी, तीन धारा, मूल्य गांव।
रूद्रप्रयाग में सिरोबगड़, नरकोटा, शिवानंदी।
राजेश कुमार, सहायक अभियंता, एनएचएआइ का कहना है कि,
राजमार्ग को मानसून के दौरान आया मलबा हटाकर आवाजाही के लिए सुरक्षित बनाने का कार्य किया जा रहा है। नए और पुराने भूस्खलन क्षेत्रों में भी जेसीबी कार्य कर रही हैं।
NEWS SOURCE : jagran