उत्तराखंड : धोनी को भाए लाटी के कार्टून, घर का पता देकर कहा इन्हें पार्सल करा दो

उत्तराखंड : धोनी को भाए लाटी के कार्टून, घर का पता देकर कहा इन्हें पार्सल करा दो

लाटी किरदार लाकर लोगों के बीच चर्चाओं में आई उत्तराखंड की बेटी कंचन युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उनकी इस किरदार को भारतीय क्रिकेट के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी पसंद किया है। उत्तराखंड पहुंचे माही ने कंचन को अपना दिल्ली आवास का पता देकर कहा कि इन कार्टून को इस पते में पार्सल करा दो।

धोनी को भाए लाटी के कार्टून

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपनी पत्नी साक्षी और अपनी बेटी जीवा के साथ उत्तराखंड पहुंचे थे। चार दिन छुटियां बिताने के बाद वो मुंबई लौट रहे थे। इस दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर कंचन के कार्टून देखे तो अपने दोस्त को कंचन से बात करने को कहा। जिसके बाद उनके दोस्त ने कंचन को वीडियो कॉल कर दिया। कंचन ने मीडिया से बातचीत में बताया की कैप्टन कूल ने करीब 12 मिनट तक उनसे और उनके परिवार से बात की।

आवास का पता देकर कहा इन्हें पार्सल करा दो

जानकारी के मुताबिक कंचन ने बताया की कैप्टन कुल ने उनसे उनके कार्टून किरदार लाटी के बारे में बात की। ऑनलाइन ही कंचन ने उन्हें अपने बनाए हुए कार्टून दिखा दिए। जिसके बाद धोनी ने कंचन को अपना दिल्ली वाले आवास का पता बता दिया और कहा कि इस पते पर इन कार्टून किरदार को पार्सल करा दो। कंचन ने बताया कि धोनी ने कहा कि जो तुम कार्टून में पंचलाइन लिखती हो उन्हें उन्होंने गांव में बहुत सुनी है।

कंचन के कार्टून ने दिलाई माही को पुराने दिनों की याद

कैप्टन कूल ने कहा आज भी जब कभी वो अपने उत्तराखंड के किसी भी रिश्तेदार या दोस्त से बात करते हैं तो अकसर ये पंचलाइन और बातें सुनने को मिलती हैं। धोनी ने कहा कि बदलते समय के साथ अब ऐसा नहीं होता। ऐसे में इन कार्टून ने एक बार फिर उन दिनों की याद दिला दी है।

पीएम मोदी को भी पसंद आए थे कंचन के कार्टून

बता दें लाटी किरदार से चर्चा में आई कंचन का कार्टून पीएम मोदी को भी पसंद आया था। उत्तराखंड के लोकपर्व पर बनाए कार्टून को पीएम ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा भी किया था

कोटद्वार की निवासी हैं कंचन जदली

कंचन जदली मूल रूप से कोटद्वार की निवासी है। कंचन अपने कार्टून से लोगों को उत्तराखंड की संस्कृति से रूबरू करा रही हैं। कंचन पहाड़ी कार्टून, चित्रों और गुदगुदाती पंचलाइन से लोगों को अपनी बोली भाषा से जुड़े रहने के लिए प्रेरित कर रही हैं। कंचन की इस कला को सोशल मीडिया पर लोगों का खूब प्यार भी मिलता है।