उत्तराखंड : पेड़ों का कत्ल कर जंगल में ही दफना दिए हथियार, प्रोफेशनल लोगों को था बुलाया गया, अब मिल रहे सुराग

उत्तराखंड: पेड़ों का कत्ल कर जंगल में ही दफना दिए हथियार, प्रोफेशनल लोगों को था बुलाया गया, अब मिल रहे सुराग

उत्तराखंड : जंगल में पावर चेन शो इस्तेमाल किए जाने के मिले सबूतचकराता वन प्रभाग के तहत कनासर रेंज में काटे गए संरक्षित वन प्रजाति के देवदार के पेड़ों के मामले में वन विभाग को इस काम में इस्तेमाल किए गए औजारों की तलाश है। सूत्रों की मानें तो एक हजार के करीब पेड़ों का कत्ल करने के बाद तस्करों की ओर से हथियारों को जंगल में पॉलिथीन में पैक कर कहीं दफना दिया गया है।

पेड़ काटने के लिए पावर चेन शो (ट्री कटर) जैसे आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया, जांच के दौरान जंगल में इसके सबूत मिले हैं। इस मामले में प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल नरेश कुमार की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय कमेटी बनाई है, जो व्यापक स्तर पर जांच कर एक माह में अपनी विस्तृत रिपोर्ट देगी।

इधर, प्रभाग के स्तर पर जांच जारी है। तमाम आरोपियों के कैमरे के सामने बयान दर्ज किए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इस पूरे प्रकरण में कई चौंकाने वाले राज सामने आ रहे हैं। पारंपरिक रूप से समाज की बेहतरी के लिए अपनाई जाने वाली लोटा-नमक की प्रथा का भी कुछ लोगों का इसमें गलत इस्तेमाल किया गया। पेड़ काटने के लिए बाकायदा बाहर से प्रोफेशनल लोग बुलाए गए। सूत्रों के अनुसार, इनमें से कुछ लोग वन विकास निगम को आंवटित लॉट में ठेकेदारी करते हैं।

पूर्व में तैनात रहे अधिकारी-कर्मचारियों पर भी गिर सकती है गाज

इस पूरे प्रकरण में अब तक जो महत्वपूर्ण बात सामने आई है, वर्ष 2008 से अब तक पेड़ काटने के मात्र आठ से 10 एच-टू (अपराध पत्र) केस काटे गए। मतलब अवैध कटान का काम तो सालों से हो रहा था, लेकिन वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी आंखें मूंदे रहे। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि विस्तृत जांच में अब पूर्व में यहां तैनात रहे अधिकारी-कर्मचारियों पर भी गाज गिर सकती है।

जिनके घर से माल बरामद, उनकी मुश्किलें बढ़ीं

कनासर रेंज में काटे गए पेड़ों के स्लीपर और फट्टे जिनके घरों से बरामद हुए हैं, उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। ऐसे मामलों में वन विभाग की ओर से एच-टू केस काटे गए हैं। वह खुद इस मामले में संलिप्त थे या नहीं संबंधित लोगों को खुद ही यह साबित करना है। इंडियन एविडेंस एक्ट और भारतीय वन अधिनियम 1927 के अनुसार, ऐसे मामलों में जिनके घर माल बरामद होता है, उसी को सिद्ध करना होता है कि वह इस मामले में संलिप्त था या नहीं।