नौतनवा: सोनौली कोतवाली क्षेत्र के हरदी डाली व कैथवलिया उर्फ बरगदही गांव से भारी पैमाने पर भुजिया चावल (स्ट्रीम राइस) की तस्करी हो रही है। चावल की खेप नौतनवा क्षेत्र के राइस मिलों से पिकअप पर लादकर हरदीडाली व बरगदही गांव में स्थापित गोदामों में डंप किए जा रहे हैं। फिर उन्हें साइकिल सवार कैरियर के द्वारा सीमा से सटे नेपाल के कोमरिया व त्रिलोकपुर गांव में बने गोदाम में रखा जाता है। इसके बाद आवश्यकतानुसार वहां से भैरहवा गल्ला मंडी में भेजा जा रहा है।
इस वजह से बढ़ा चावल की तस्करी
तस्करी में वृद्धि बीते 25 अगस्त से भारतीय कस्टम शुल्क में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी के कारण हुई है, जो 16 अक्टूबर तक रहेगी। बीते दिनों कई बार तस्करी करते चावल पकड़े गए हैं। इस खेल में मंडी के कागजात व कस्टम के सुपुर्दगी कागजों को हथियार बनाकर भी चावल तस्करी की खेप सरहद तक पहुंचाई जा रही है। तस्करों को एक पिकअप चावल नौतनवा से सरहद तक सुरक्षित पहुंचाने का 10 हजार रुपये मिलता है। बरगदवां, अशोगवा, रेहरा, भगवानपुर, श्यामकाट, शेख फरेंदा, सुंडी, बैरिहवा, कुरहवा घाट, बैरिया, संपतिहा, चंडी थान, मुड़िला व कोल्हुई के क्षेत्र से चावल की बड़ी तस्करी हो रही है।
मंडी समिति के यह हैं नियम
नौतनवा नवीन मंडी सचिव आशीष नायक का कहना है कि जीएसटी फर्म धारक दो लाख रुपये मूल्य तक के चावल व गेहूं आदि खाद्यान्न का मंडी शुल्क, विकास शुल्क, समन शुल्क जमा कर खाद्यान्न का भारत में व्यापार करने की मंडी समिति की कागजी वैध प्रकिया पूरी करते हैं।
कस्टम विभाग में चावल तत्काल छोड़ने का नहीं हैं प्रविधान
तस्करी के आरोप में पकड़े गए चावल, गेहूं व अन्य खाद्यान्न के मामले कस्टम विभाग के पास आते हैं। उन्हें तत्काल छोड़ने का प्रविधान कस्टम एक्ट में नहीं हैं। कस्टम अधीक्षक एसके पटेल ने बताया कि चावल व गेहूं तस्करी मामलों में उसे नियमानुसार जीएसटी धारक फर्म को रखने के लिए दिए जाते हैं। जीएसटी धारक निर्धारित शुल्क जमा कर खाद्यान्न को खराब न होने की गारंटी पर अपने गोदाम में रखता है। फिर तस्करी मामले की महीनों जांच व सुनवाई चलती है। अंततः जांच प्रकिया व संलिप्त लोगों की सुनवाई के बाद निर्धारित जुर्माना लगाकर खाद्यान्न को छोड़ा जाता है। पूरी प्रकिया भारत के राष्ट्रपति कार्यालय के संज्ञान में होता है।
NEWS SOURCE : jagran