राज्यसभा में मणिपुर के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे और नारेबाजी के कारण बुधवार को उच्च सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद दोबारा शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को बोलने की अनुमति दी। खरगे ने कहा वह नियम 267 के तहत दिये गये नोटिस का मामला उठाना चाहते हैं। जब खरगे बोल रहे थे तब उनका गला कुछ खराब था। इस पर सभापति ने कहा, ‘‘मैं एक वकील हूं, डॉक्टर नहीं… आप मिश्री का उपयोग करिए।” जवाब में खरगे ने कहा कि वह ‘‘आहिस्ता” बोल रहे हैं।
मैंने अपने को गिरवी रख दिया है… मरे तो भी परवाह नहीं
सभापति ने उन्हें याद दिलाया कि वह जिस पद पर हैं, उनका स्वस्थ रहना सभी के लिए महत्वपूर्ण है। खरगे ने इसके जवाब में कहा, ‘‘मेरा स्वास्थ्य देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए, संविधान को बचाने के लिए है, मैंने अपने को गिरवी रख दिया है… मरे तो भी परवाह नहीं, पर (अपनी) बात करता (उठाता) रहूंगा।” इस पर सभापति ने मुस्कुराते हुए सवाल किया, ‘‘गिरवी रखने की जरूरत ही क्यों पड़ रही है? हम सभी (सदस्य) संविधान की रक्षा के लिए कटिबद्ध हैं।” इसके बाद खरगे ने मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान और नियम 267 के तहत चर्चा कराये जाने की मांग को फिर दोहराया। इस बीच सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।
हंगामे के बीच ही सभापति ने केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले को बोलने की अनुमति दी। अठावले ने कहा कि वह खरगे का सम्मान करते हैं और उनका स्वास्थ्य अच्छा रहना चाहिए और उन्हें नेता प्रतिपक्ष के पद पर बने रहना चाहिए। खरगे ने फिर नियम 267 के तहत चर्चा कराये जाने की मांग की जिसे सभापति ने अस्वीकार कर दिया। खरगे की मांग पर नेता सदन पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्ष के नेता बार बार एक ही मांग को दोहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही कह चुकी है कि वह मणिपुर मुद्दे पर कभी भी चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने विपक्ष द्वारा बार बार इस मुद्दे को उठाये जाने को सदन के विशेषाधिकार का अपमान बताया।
संसद टीवी को लेकर उठे सवाल
सभापति धनखड़ ने कहा कि उन्होंने स्वयं नियम 267 के तहत दिये गये नोटिस को खारिज किया है। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के डॉ. शांतनु सेन ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि जब सत्ता पक्ष का कोई सदस्य बोलने उठता है तो संसद टीवी का कैमरा उस पर केंद्रित होता है किंतु जब विपक्ष का कोई सदस्य बोलता है तो कैमरा उस पर केंद्रित नहीं होता है। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि जब आसन किसी मुद्दे को उठाने से मना कर चुका है तो उस मुद्दे को बार बार नहीं उठाया जाना चाहिए। वाईएसआर कांग्रेस के वी विजयसाई रेड्डी ने भी व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के सदस्य सदन की कार्यवाही पिछले कुछ दिनों से लगातार बाधित कर रहे हैं।
किंतु सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने बैठक अपराह्न दो बजकर 45 मिनट तक स्थगित कर दी। उच्च सदन की बैठक अपराह्न दो बजकर 45 मिनट पर फिर शुरू होने पर कांग्रेस के वेणुगोपाल ने आसन की एक पूर्व टिप्पणी पर आपत्ति जताई। इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि वह इस सदन का सभापति होने के नाते इस प्रतिष्ठित सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे। इसके बाद उन्होंने बैठक तीन बज कर 15 मिनट तक, आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले सुबह 11 बजे सदन की बैठक शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण दोपहर दो बजे तक स्थगित की गयी थी।
NEWS SOURCE : punjabkesari