UP Politics: यूपी में फिर से एक सियासी जंग छिड़ने जा रहा है, इस जंग से ही सभी पार्टियां 2027 में होने वाले चुनावी महाभारत की तैयारियां शुरू करेंगी। पिछले आम चुनाव में उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन का दबदबा था और उसी दबदबे को बरकरार रखने के लिए गठबंधन अपनी पूरी ताकत झोंकना शुरू कर दी है। और कहीं न कहीं इस उपचुनाव को सुबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा रहा है।
फिलहाल अभी तक चुनाव आयोग की तरफ से कोई तारिख नहीं बताई गई है कि चुनाव कब होगा लेकिन यूपी में बढ़ रही सियासी हलचल से साफ नजर आ रहा है कि कोई भी पार्टी इस बार उपचुनाव में पीछे हटने का नाम नहीं ले रही है…वह NDA, India, BSP हो या आजाद समाज पार्टी से चंद्रशेखर आजाद…फिलहाल अब उन सीटों को देख लीजिए जिन पर उचुनाव होने वाला है…और जानेंगे यह विधानसभा सीट क्यों खाली हुई है और किस सीट पर किस वर्ग का दबदबा है।
इन विधानसभा सीटों पर होना है उपचुनाव
1. करहल सीट- मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव विधायक थे। कन्नौज से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विधायकी से इस्तीफा दिया। इसके बाद यह सीट खाली हो गई है।
2. कटेहरी सीट- अम्बेडकर नगर की कटेहरी विधानसभा सीट से लालजी वर्मा विधायक थे। वह अंबेडकर नगर से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल करने में कामयाब हुए। कटेहरी सीट पर 2012 में सपा और 2017 में बसपा को जीत मिली थी। लालजी वर्मा यूपी चुनाव 2022 में निषाद पार्टी को इस सीट पर हराने में कामयाब हुए थे।
3. मिल्कीपुर सीट- अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा सीट से सपा के सीनियर नेता अवधेश प्रसाद विधायक थे। फैजाबाद से सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई है। इस सीट पर ब्राह्मणों और दलितों का बढ़िया प्रभाव है।
4.मीरापुर सीट- मीरापुर विधानसभा सीट से राष्ट्रीय लोक दल के चंदन चौहान विधायक थे। उनके सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हुई है। 2012 में यह सीट बसपा और 2017 में बीजेपी ने जीती थी। इस सीट पर जाट और मुसलमानों का प्रभाव दिखता है।
5.गाजियाबाद सीट- गाजियाबाद विधानसभा सीट से भाजपा के अतुल गर्ग विधायक थे। गाजियाबाद लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज कर वे संसद तक पहुंच चुके हैं। इसके बाद ये सीट खाली हुई है। 2012 में यह सीट बसपा और 2017 में भाजपा ने जीती थी।
6.मझावां सीट- मझावां विधानसभा सीट पर निषाद पार्टी का कब्जा था। विनोद कुमार बिंद यहां से विधायक थे। विनोद कुमार बिंद के भदोही सीट से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह सीट खाली हुई है। 2012 में यह सीट बसपा और 2017 में भाजपा ने जीती थी। यह बीजेपी की मजबूत सीट मानी
7.खैर सीट- अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर BJP से अनूप सिंह विधायक थे लेकिन अब वह हाथरस से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं…2012 में यह सीट रालोद और 2017 में बीजेपी ने जीती थी। इस सीट पर जाट, ब्राह्मण, दलित और मुसलमानों का अच्छा प्रभाव दिखता है।
8.फूलपुर सीट- फूलपुर विधासभा सीट पर BJP से प्रवीण पटेल विधायक थे, सांसदी के चुनाव में वह भी सांसद बन गए। इसके बाद यह सीट खाली हुई थी। 2012 में यह सीट सपा और 2017 में बीजेपी ने जीती थी। इस सीट पर यादव और दलितों का अच्छा प्रभाव है।
9.कुंदरकी सीट- कुंदरकी विधानसभा सीट से जिया उर रहमान बर्क विधायक थे। वह संभल लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं। इसके बाद यह सीट खाली हो गई है। इसे सपा की मजबूत सीट माना जाता है। सपा इस सीट पर 2012, 2017 और 2022 चुनाव में जीत दर्ज की।
10.सीसामऊ सीट- सीसामऊ विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा था। यहां से सपा विधायक इरफान सोलंकी को कोर्ट ने दोषी घोषित किया। सजा के ऐलान के बाद जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत उनकी विधायकी चली गई है। इसे सपा की बहुत मजबूत सीट माना जाता है।
NEWS SOURCE Credit : punjabkesari