14 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध के साथ पितृपक्ष समाप्त, इस दिन ऐसे पितरों का होगा श्राद्ध, जानें सही तिथि, श्राद्ध समय और महत्व

14 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध के साथ पितृपक्ष समाप्त, इस दिन ऐसे पितरों का होगा श्राद्ध, जानें सही तिथि, श्राद्ध समय और महत्व

पितृ पक्ष की 16 ति​थियों में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन आप सभी पितरों का श्राद्ध, तर्पण आदि कर सकते हैं। आपको अपने जिन पितरों के बारे में मालूम न हो और जिन पितरों के निधन की तिथि मालूम न हो तो आप सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन सभी के लिए तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोज, पंचबलि कर्म, श्राद्ध आदि कर सकते हैं। इसमें माता पितरों का भी श्राद्ध हो सकता है हालांकि नवमी ​श्राद्ध तिथि पर सभी माता पितरों का श्राद्ध किया जाता है।

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन कृष्ण अमावस्या की तिथि 13 अक्टूबर दिन शुक्रवार को रात 09 बजकर 50 मिनट से प्रारंभ होने वाली है और इस तिथि की समाप्ति 14 अक्टूबर दिन शनिवार को रात 11 बजकर 24 मिनट पर होगी। उदयातिथि के आधार पर देखा जाए तो इस वर्ष सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर शनिवार को है। यह शनि अमावस्या भी है।

श्री अगस्त्य मन्दिर, अगस्त्यमुनि के आचार्य भूपेंद्र बेंजवाल ने बताया कि, शास्त्रों के अनुसार आश्विन माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्व पितृ श्राद्ध तिथि कहा जाता है। इस दिन भूले-बिसरे पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। कहते हैं कि इस दिन अगर पूरे मन से और विधि-विधान से पितरों की आत्मा की शांति श्राद्ध किया जाए तो न केवल पितरों की आत्मा शांत होती है बल्कि उनके आशीर्वाद से घर-परिवार में भी सुख-शांति बनी रहती है परिवार के सदस्यों की सेहत अच्छी रहती है और जीवन में चल रही परेशानियों से भी राहत मिलती है। आचार्य ने बताया कि धर्म ग्रंथों में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है ये साल आने वाली 12 अमावस्या तिथियों में सबसे खास होती है। इस तिथि पर पितरों के लिए जल दान, श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से वे पूरी तरह तृप्त हो जाते हैं। इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं. ये दोनों ग्रह पितरों से संबंधित हैं। इस तिथि पर पितृ पुनः अपने लोक में चले जाते हैं साथ ही वे अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

सर्व पितृ अमावस्या 2023 पर श्राद्ध का समय क्या है?

14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों के श्राद्ध का समय सुबह 11 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ है, जो दोपहर 03 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इसमें कुतुप मूहूर्त, रौहिण मूहूर्त और अपराह्न काल तीनों शामिल हैं. सर्व पितृ अमावस्या पर कुतुप मूहूर्त 46 मिनट, रौहिण मूहूर्त 46 मिनट और अपराह्न काल 02 घंटा 18 मिनट का होगा।

इंद्र योग और हस्त नक्षत्र में सर्व पितृ अमावस्या

सर्व पितृ अमावस्या के दिन इंद्र योग प्रात:काल से प्रारंभ होकर सुबह 10:25 बजे तक है, उसके बाद से वैधृति योग प्रारंभ है। हस्त नक्षत्र प्रात:काल से शुरू होकर शाम 04 बजकर 24 मिनट तक है और उसके बाद से चित्रा नक्षत्र है।

सर्व पितृ अमावस्या पर स्नान-दान

सर्व पितृ अमावस्या पर आप सुबह में स्नान करें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद अपने पितरों को जल, तिल और सफेद फूल से तर्पण दें। तर्पण के समय कुशा की पवित्री धारण करें। उसके बाद पितरों को तृप्त करने के लिए सफेद वस्त्र, चावल, फल, धन आदि का दान करें, उसके बाद दक्षिणा अवश्य दें। दक्षिणा में कोई पात्र यानि बर्तन देना चाहिए।