अदाणी ग्रीन एनर्जी ने स्टॉक एक्सचेंजों को जानकारी दी है कि अमेरिका के न्याय विभाग और अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (SEC) द्वारा दायर किए गए मामले में अदाणी समूह के प्रमुख व्यक्तियों पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है। समूह ने स्पष्ट किया कि समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी, उनके भतीजे सागर अदाणी और कार्यकारी एमडी एवं सीईओ विनीत जैन के खिलाफ अमेरिकी विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (FCPA) के उल्लंघन का कोई आरोप नहीं है।
यह मामला अदाणी ग्रीन एनर्जी द्वारा बॉन्ड जारी करने से संबंधित था, जिसमें आरोप था कि बॉन्डधारकों को उल्लंघन के बारे में जानकारी नहीं दी गई। हालांकि, अदाणी समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि किसी भी अधिकारी पर रिश्वत देने या भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं है।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद अदाणी समूह के शेयर्स में उछाल आया और समूह का कुल बाजार पूंजीकरण 1.22 लाख करोड़ रुपये बढ़ गया। अदाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों को लेकर वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और महेश जेठमलानी ने भी इस मामले में खामियों की ओर इशारा किया और इसे राजनीतिक मामला करार दिया। कंपनी ने एक बयान में कहा कि आरोपों में कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं और इसे मीडिया द्वारा गलत तरीके से पेश किया गया।
बुधवार को इंट्राडे ट्रेड के दौरान अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में जोरदार उछाल देखने को मिला।
Adani Green के शेयर में 10% की बढ़ोतरी हुई।
-Adani Enterprises के शेयर में 11% से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई।
-Adani Power के शेयर में 20% की भारी बढ़ोतरी हुई।
-Adani Total Gas में भी 20% का उछाल आया।
-Adani Wilmar, Adani Ports and Special Economic Zone, Ambuja Cements, ACC, और New Delhi Televisions के शेयरों में 9% तक की बढ़ोतरी देखी गई।
इस वृद्धि के पीछे अदाणी समूह के खिलाफ लगाए गए अमेरिकी एफसीपीए मामले में किसी भी तरह के आरोप न होने की जानकारी दी गई, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा और समूह के शेयरों में तेजी आई।
अदाणी समूह के बयान में यह भी कहा गया कि मीडिया में कई जगह इस मामले को गलत तरीके से रिपोर्ट किया गया है, जिससे कंपनी की छवि पर गलत असर पड़ा है। कंपनी ने जोर देते हुए कहा कि इस मामले का कोई संबंध अदाणी समूह के अधिकारियों द्वारा भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने से नहीं है, और यह पूरी तरह से अफवाहों और संभावनाओं पर आधारित है।
अदाणी समूह ने यह भी कहा कि यह मामला अमेरिकी अधिकारियों द्वारा भारतीय व्यवसायों को निशाना बनाने की एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा हो सकता है, जिसे भारत में विपक्षी दलों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है।
समूह ने यह भी बताया कि इस मामले के कारण अदाणी समूह के बाजार पूंजीकरण में 55 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है, जबकि इसकी वैश्विक ऊर्जा और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
NEWS SOURCE Credit : punjabkesari