पीएम मोदी के लिए परिवार का मतलब भारत के सभी 140 करोड़ लोग, भरोसे की राजनीति का नया युग

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमृतकाल के दौरान स्वर्णिम समृद्धि से जुड़े अपने व्यापक दृष्टिकोण को अभिव्यक्ति दी। प्रधानमंत्री देश के भविष्य के प्रति बहुत आशान्वित हैं। पिछले नौ वर्षों में प्रगति के लिए किए गए अथक परिश्रम से हुई ठोस प्रगति उनके इस आत्मविश्वास का स्रोत है। इस दौरान 140 करोड़ देशवासियों के उत्थान के लिए प्रयास किए गए हैं। किसी के साथ धर्म, क्षेत्र, लिंग, जाति, उम्र या जातीय पहचान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हुआ।

मोदी सरकार की प्रत्येक नीति ‘सुधार, प्रदर्शन और बदलाव’ के मंत्र को दर्शाती है, जो विशेष रूप से गरीबों और वंचितों को लाभान्वित कर रही है। इससे भारत को नौ वर्षों में दुनिया की दसवीं बड़ी अर्थव्यवस्था से पांचवीं आर्थिकी के पायदान तक पहुंचने में मदद मिली है। भारतीय अर्थव्यवस्था पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के दौरान तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। इस प्रगति को ठोस आर्थिक नीतियों, भ्रष्टाचार पर अंकुश, सरकारी खर्च में होने वाली चोरी को रोकने, शासन में दक्षता और पारदर्शिता की वृद्धि तथा उदार कल्याणकारी योजनाओं से गति मिली है।

महिलाओं के नेतृत्व में होने वाला विकास बदलाव का एक महत्वपूर्ण पहलू है। भारत में किसी भी अन्य देश की तुलना में महिला पायलटों की संख्या अधिक है और वे चंद्रयान मिशन जैसे उच्च तकनीकी कार्यक्रमों में भी काफी आगे हैं। यह गर्व की बात है कि लड़कों की तुलना में ज्यादा लड़कियां विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) विषयों का चयन कर रही हैं। प्रधानमंत्री का लक्ष्य गांवों में दो करोड़ लखपति-दीदी बनाना और ड्रोन के संचालन एवं मरम्मत के कार्य में महिलाओं को शामिल करना है।

बदलाव की इस यात्रा में मोदी सरकार गरीबों को रोटी, कपड़ा और मकान के संघर्ष से मुक्ति दिला रही है। सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, लगभग 80 करोड़ लोगों को निशुल्क खाद्यान्न, राशन कार्डों की देशव्यापी वैधता, महिलाओं की गरिमा की रक्षा करने वाले शौचालय, प्रत्येक गांव में बिजली आपूर्ति, रसोई गैस, अच्छी सड़कें, स्वास्थ्य बीमा और किफायती इंटरनेट सेवाओं की सुविधाएं प्रदान की हैं। आवास उपलब्ध कराने और पाइप से पेयजल की आपूर्ति करने की योजनाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं।

मोदी सरकार ने अन्य देशों की तुलना में और पिछली सरकारों के मुकाबले महंगाई का कहीं बेहतर तरीके से मुकाबला किया है। महंगाई से अपेक्षाकृत राहत के बावजूद सरकार इससे संतुष्ट नहीं और इस पर लगाम लगाने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयासरत है। प्रधानमंत्री मोदी की जनहितैषी नीतियों के चलते वर्ष 2021 तक पांच वर्षों में 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकलने में सफल होकर मध्यम वर्ग की श्रेणी में शामिल हो गए हैं।

सैकड़ों वर्षों के उत्पीड़न के बाद नया भारत आशा, आकांक्षा और महत्वाकांक्षा के नए केंद्र के रूप में उभरा है। बढ़ती युवा शक्ति, महिला शक्ति, मेहनती श्रमिकों और किसानों, प्रतिभाशाली कारीगरों और बुनकरों तथा एक समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा की संपदा से देश की दुनिया में अलग पहचान बन रही है। भारत का आकांक्षी युवा, मांग और उद्यमशीलता की ऊर्जा पैदा कर रहा है।

मोदी सरकार लोगों को आवास, स्वास्थ्य देखभाल और खाद्यान्न प्रदान करने में सफल रही है। विभिन्न उत्पादों की मांग बढ़ रही है। इससे उद्यमियों के लिए नए अवसर पैदा हो रहे हैं। यह रुझान प्रतिभाशाली युवाओं को स्टार्टअप लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। मुद्रा ऋण योजना में आठ करोड़ नए उद्यमियों को 23 लाख करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। इनमें से 70 प्रतिशत महिला उद्यमी हैं और 51 प्रतिशत लाभार्थी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं। परिश्रमी भारतीयों की शक्ति एवं आकांक्षाओं पर आधारित भारत का रूपांतरण आज विश्व को स्पष्ट दिख रहा है। कोविड महामारी और यूक्रेन संकट के दोहरे आघात के बावजूद भारत को अशांत एवं अस्थिर दुनिया में एक चमकते सितारे के रूप में देखा जा रहा है।

अमृतकाल के इस आशावादी दौर में प्रधानमंत्री का दूरदर्शी नेतृत्व भारत को एक विकसित देश बनाएगा। इसी दौर में देश का एक तबका घबराया हुआ है। उसकी घबराहट भ्रष्टाचार, वंशवाद की राजनीति और तुष्टीकरण से लड़ने के प्रधानमंत्री के आह्वान से बढ़ी है। उनका डर समझा जा सकता है। मोदी सरकार ने प्रभावी कानून प्रवर्तन, प्रौद्योगिकी के उपयोग और उन कानूनों, जिनका दुरुपयोग लोगों को परेशान करने और रिश्वत वसूलने के लिए किया जाता था, को समाप्त करने के साथ भ्रष्टाचार पर प्रहार के लिए कई प्रभावी पहल की हैं।

प्रधानमंत्री ने यह भी सुनिश्चित किया है कि पहले की तुष्टीकरण वाली नीतियों के विपरीत हर सरकारी पहल में सभी नागरिकों को समान समझा जाए। प्रधानमंत्री ने वंशवाद की राजनीति की बुराई को भी सही ढंग से उजागर किया है। राजनीति में एक परिवार विशेष के सदस्य, जिनके पास योग्यता हो या न हो, लेकिन उसके बावजूद वे अपने दल के शीर्ष पर बने रहते हैं, जबकि एक योग्य पार्टी सदस्य के लिए शीर्ष तक पहुंचने का कोई अवसर नहीं होता है। इन बुराइयों की समाप्ति के लिए सरकार के दृढ़संकल्प ने जनता को प्रोत्साहित किया है, लेकिन कुछ विपक्षी दल उदास हैं। वे अपनी नकारात्मकता नहीं छिपा पा रहे।

‘घमंडिया’ यानी आइएनडीआइए तो घोटालों से घिरे वंशवादियों का एक समूह है, जो नियमित रूप से तुष्टीकरण को चुनावी ढाल बनाता आया है। इनमें नकारात्मकता, सत्तालोलुपता और तीनों बुराइयों के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई के बारे में बढ़ते डर के अलावा कुछ भी समान नहीं है।

जब कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया, तो उसमें लाखों करोड़ रुपये के घपले-घोटाले होते रहे। उसके विपरीत प्रधानमंत्री मोदी का शासन ईमानदारी, जवाबदेही और पारदर्शिता के प्रति संकल्पबद्ध है। मोदी सरकार का लक्ष्य नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाना है। प्रधानमंत्री मोदी के लिए परिवार का मतलब भारत के सभी 140 करोड़ लोग हैं, जो उनके संवेदनशील नेतृत्व पर भरोसा करते हैं। यही भरोसा उन्हें भारत का सबसे प्रभावी और सर्वाधिक लोकप्रिय प्रधानसेवक बनाता है।

NEWS SOURCE : jagran