Chardham Yatra Started : शीतकाल के लिए आज से शुरू हुई चारधाम यात्रा, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने की शुरुआत

Chardham Yatra Started : शीतकाल के लिए आज से शुरू हुई चारधाम यात्रा, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने की शुरुआत

उत्तराखंड के चार धामों के लिए बुधवार से शीतकाल के लिए चारधाम यात्रा Chardham Yatra की शुरुआत हो गई है। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इसकी शुरुआत की। इस दौरान उत्तरकाशी के बड़कोट नगर क्षेत्र में उनका स्वागत किया जाएगा।

आज से शुरू हुई शीतकाल के लिए चारधाम यात्रा

जानकारी के अनुसार ज्याेतिर्मठ के मीडिया प्रभारी डाॅ. बृजेश सती ने जानकारी देते हुए बताया कि जगतगुरु शंकराचार्य की चारधाम की यात्रा 27 दिसंबर से शुरू होगी Chardham Yatra। इस दौरान मां यमुना की शीतकालीन पूजा स्थल खरसाली पहुंचेंगे। इसके साथ ही शाम की पूजा और आरती में शामिल होंगे।

तीन जनवरी को होगा यात्रा का समापन

मीडिया प्रभारी डाॅ. बृजेश सती ने कहा कि शंकराचार्य द्वारा 2500 वर्ष पुराणी स्थापित परंपराओं का निर्वहन करते हुए ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य शीतकालीन पूजास्थलों की तीर्थयात्रा कर रहे हैं। यात्रा की शुरुआत 27 जनवरी से की की जाएगी। जबकि यात्रा Chardham Yatra का समापन तीन जनवरी 2024 को हरिद्वार में होगा।

शीतकालीन यात्रा को मिलेगा बढ़ावा

बता दें आदिगुरु शंकराचार्य परंपरा के इतिहास में यह पहला अवसर है जब ज्योतिषपीठ के आचार्य चारधामों के पूजा स्थलों की तीर्थ यात्रा Chardham Yatra कर रहे हैं। सूबे की मुखिया पुष्कर सिंह धामी ने भी शंकराचार्य की यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए कहा था कि उनकी तीर्थ यात्रा से चारधामों में शीतकालीन यात्रा Chardham Yatra को बढ़ावा मिलेगा।

छह महीने के लिए यहां विराजमान होते हैं भगवान

बता दें कि हिंदू मान्यता के अनुसार उत्तराखंड के चार धामों में शीतकाल के छह महीने देवता पूजा पाठ करते हैं। इसलिए बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री चारों धामों के कपाट छह महीने के लिए बंद हो जाते हैं। इस दौरान उनके गद्दीस्थलों पर पूजा की जाती है।

रूद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ में बाबा केदार और पांडुकेश्वर जोशीमठ चमोली जिले में भगवान बद्रीनाथ आ जाते हैं। छह महीने यहीं इनकी पूजा अर्चना होती है। शीतकाल में श्रद्धालु इन्हीं जगहों पर भगवान के दर्शन करते हैं। चारों धामों से चल विग्रह स्वरुप को शीतकाल प्रवास मां गंगा उत्तरकाशी जिले के मुखवा गांव और यमुना मां खरसाली गांव में प्रवास करती है। Chardham Yatra

शीतकाल में गद्दी की होती है पूजा

बता दें कि शीतकाल में छह महीनों के लिए तीर्थ पुरोहित शीतकाल गद्दी की पूजा अर्चना करते हैं। शीतकाल प्रवास के लिए चारों धामों से जो डोली ले जाई जाती है उसमें चल विग्रह स्वरूप होता है। जिसका मतलब ये है कि भगवान की मुख्य मूर्ति मंदिर परिसर में ही होती है। लेकिन धामों के कपाट होने के साथ ही भगवान की मूर्ति चल विग्रह स्वरूप में शीतकाल के लिए लाई जाती है। Chardham Yatra