नैनीताल. बागेश्वर जिले की कांडा तहसील के कई गांवों के मकानों में आई दरारों के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. यह दरारें खड़िया खनन के कारण आई है. इस मामले में कोर्ट ने बागेश्वर एसपी चन्द्रशेखर आर घोड़के से पूछा कि 55 खदानों की रिपोर्ट पेश करने के बाद और कितनों की रिपोर्ट बनाई है, उसको पेश करें. इसके अलावा सरकार से यह बताने को कहा है कि किस तरह से खनन कार्य किया गया है, उसका प्रमाण भी प्रस्तुत करें l
सोमवार को होगी अगली सुनवाई
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष हुई. दरअसल, शुक्रवार को बागेश्वर एसपी और जांच कमेटी के अध्यक्ष अनिल कुमार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए. एसपी ने बताया कि 72 खदानों का निरीक्षण कर लिया गया है. इनमें से 55 की रिपोर्ट न्यायालय में पेश की जा चुकी है. जबकि जांच कमेटी के अध्यक्ष से पूछा गया कि खदानों की जांच करने के लिए किस-किस चीज की कमी है, वो अवगत कराएं. वहीं अब इस मामले में अगली सुनवाई 10 मार्च को होगी l
ग्रामीणों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कही थी ये बातें
बता दें कि पूर्व में ग्रामीणों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा था कि अवैध खड़िया खनन से उनकी खेतीबाड़ी, घर, पानी की लाइनें ध्वस्त हो चुकी हैं. जो धन से सपन्न थे. उन्होंने अपने आशियाने हल्द्वानी और अन्य मैदानी जगहों पर बना लिए हैं. अब गावों में निर्धन लोग ही बचे हुए हैं. उनके जो आय के साधन थे. उन पर अब खड़िया खनन के लोगों की नजर टिकी हुई है.
पत्र में यह भी कहा गया था कि इस संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों को प्रत्यावेदन भी दिए. लेकिन उनकी समस्या का कुछ हल नहीं निकला. इसलिए अब हम न्यायालय की शरण में आए हैं. न्यायालय से अनुरोध किया गया कि उनकी समस्या का समाधान किया जाएं l
NEWS SOURCE Credit : lalluram