आयुर्वेद को चिकित्सा की सबसे प्राचीन उपचार प्रणाली माना जाता है। आयुर्वेद में सिर्फ आपके रोग पर काम नहीं किया जाता है बल्कि उस रोग के कारणों पर काम किया जाता है। आयुर्वेद में शरीर में बीमारियों की वजह त्रिदोष का बैलेंस बिगड़ना माना जाता है। त्रिदोष यानि शरीर में पाया जाने वाला वात दोष, पित्त दोष और कफ दोष, इनमें से अगर कोई भी दोष बढ़ जाता है तो शरीर में अलग-अलग तरह की बीमारियां पैदा होती हैं।
रोग के कारणों पर काम करता है आयुर्वेद
आयुर्वेद व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा को एक संपूर्ण इकाई के रूप में मानता है और इसी के आधार पर काम करता है। मन और शरीर एक दूसरे को प्रभावित करते हैं और दोनों साथ में मिलकर किसी भी बीमारी को दूर कर सकते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक शरीर में उपचयजन्य और क्षयजन्य दो वजह अलग-अलग बीमारियों का कारण बनती हैं। उपचयजन्य बीमारियों में मोटापा, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, सांस फूलना, बुखार, सर्दी जुकाम और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियां भी शामिल हैं। वहीं क्षयजन्य बीमारियों में शरीर में पोषक तत्वों की कमी होती है। उपचयजन्य बीमारियों के ठीक करने के लिए लंघन चिकित्सा यानि फास्टिंग का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि क्षयजन्य बीमारियों को ठीक करने के लिए वृहण चिकित्सा का उपयोग किया जाता है जिसमें शरीर को जरूरी पोषण दिया जाता है।
आयुर्वेद में उपवास को माना गया है असरदार
कलावती आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, कासगंज में पंचकर्मा डिपार्टमेंट में काम करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर और डॉक्टर विकास प्रजापति के मुताबिक, उपचयजन्य बीमारियों को ठीक करने के लिए फास्टिंग यानि उपवास को असरदार तरीका माना गया है। इससे कफ को बैलेंस किया जाता है। कफ हमारे शरीर में बीमारियों को बढ़ाने का काम करता है। जब आप फास्टिंग करते हैं तो कफ से पैदा होने वाली और उपचयजन्य बीमारियों को कम किया जा सकता है। कैंसर को भी उपचयजन्य बीमारी माना गया है। कई स्टडीज में फास्टिंग को कैंसर में असरदार माना गया है।
फास्टिंग से कम होती हैं ये बीमारी
जब हम उपवास करते हैं तो इससे हमारे शरीर में बढ़े हुए दोष कम होने लगते हैं। हमारी उर्जा पाचन में न लग कर शरीर को ठीक करने में लग जाती है। जिससे पाचन तंत्र बेहतर काम करता है। शरीर में आई सूजन को कम किया जा सकता है। वजन घटाने में मदद मिलती है। दिमाग के फंक्शन में सुधार आता है और सबसे जरूरी आपका शरीर अच्छा महसूस करता है।
आयुर्वेद में उपवास
आयुर्वेद में कई तरह के उपवास का जिक्र किया गया है जिसमें आप पूरे दिन की फास्टिंग कर सकते हैं। यानि आप दिनभर सिर्फ पानी पीएंगे और व्रत करेंगे। दूसरा तरीका है आप दिनभर में सिर्फ फल और सब्जियों का जूस पीएंगे और शरीर को खाने से आराम देंगे। तीसरा तरीका है कि आप इंटरमिटेंट फास्टिंग करेंगे। जिसमें अपने हिसाब से समय तय कर सकते हैं। जैसे आप दिनभर में सिर्फ 8 घंटे ही खाना खाएंगे। बाकी समय सिर्फ पानी पीएं। इस तरह की फास्टिंग शरीर को स्वस्थ रखने में असरदार साबित होती है।
(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)
NEWS SOURCE Credit : indiatv