नैनीताल, नरेश कुमार। हमारा सिस्टम गजब का है। प्रस्ताव बनते हैं, सरकारी दफतरों में दौड़ते हैं, करोड़ों मिलते हैं और मिलते ही ‘बंटाधार।’ देश के प्रमुख पर्यटन स्थल नैनीताल से कुछ ही दूरी पर स्थित पटुवाडांगर नामक जगह से बसानी को जोड़ने वाली सड़क का हश्र देखकर आप भी सिस्टम को नकारा कहेंगे, लापरवाह कहेंगे, अदूरदर्शी कहेंगे।
मानसूनी बारिश ने दो महीने के भीतर (अगस्त में) इसकी बखिया उधेड़ दी है।
32 किलोमीटर की इस सड़क को बनने में 11 साल लग गए। इसी साल जून में करीब आधा दर्जन गांव सड़क से जुड़े तो ग्रामीण जनता ने मिठाई बांटी, खुशियां मनाई, लेकिन दुर्भाग्य देखिए। सड़क की जड़ को इतना कमजोर बनाया गया कि मानसूनी बारिश ने दो महीने के भीतर (अगस्त में) इसकी बखिया उधेड़ दी है।
कई जगह भयंकर दरारें हैं। कहीं पर सड़क आधी धंस चुकी है। इसका सबसे बड़ा कारण ड्रेनेज सिस्टम का नहीं होना रहा तो गुणवत्ता पर भी प्रश्नचिह्न लग रहा है। सवाल सिर्फ एक है। करोड़ों की सड़क के इस हश्र का जिम्मेदार कौन?
पीएमजीएसवाई के तहत सड़क निर्माण शुरू किया गया था
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत 2012 से सड़क का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। पहले वन भूमि का अड़ंगा लगा। फिर जंगल की जमीन विभाग को हस्तांतरित हुई तो ठेकेदार की हीलाहवाली ने काम लटका दिया। इस वजह से साल बीतते गए और ग्रामीणों का सपना भी लंबा होता गया।
सरकारी सिस्टम इतना लचर कि ग्रामीण जनता को राहत देने के लिए शुरुआत से ही ठोस प्रयास नहीं किए गए। थक हारकर लोगों ने आवाज उठाई, आंदोलन किया, कार्यदायी संस्था व ठेकेदार के विरुद्ध प्रदर्शन हुए तो आखिर जिला प्रशासन ने सुध ली।
इस सड़क से विकल्प के रूप में आवागमन कर सकते थे।
तब इसे पर्यटकों की आवाजाही के लिए वैकल्पिक मार्ग के रूप में भी देखा गया। यानी जो पर्यटक नैनीताल आएं, वह इस सड़क से विकल्प के रूप में आवागमन कर सकते थे।
इसके बाद निर्माण आगे बढ़ा और इसी साल जून में पीएमजीएसवाई ने ट्रायल कर वाहनों का संचालन शुरू करवाया। लंबे इंतजार के बाद सड़क जनता को समर्पित हुई।
इंतजार का फल देर से मिला तो हर गांव में लोगों ने मिठाई बांटी, मगर अगस्त में सड़क के साथ ग्रामीणों की उम्मीद भी टूट गई है।
32 किमी लंबा मार्ग 20 से अधिक स्थानों पर दरक गया।
32 किमी लंबा मार्ग 20 से अधिक स्थानों पर दरक गया। कई स्थानों पर तो सुरक्षा दीवार के साथ आधी सड़क का नामोनिशान मिट चुका है। पिछले एक महीने से आधा दर्जन गांवों के लोगों का जीवन फिर पुरानी पटरी पर लौट गया है। वे कई किलोमीटर का पैदल सफर करने को मजबूर हैं।
सवाल यह है कि करोड़ों रुपये की सड़क पर बहाते समय आखिर जिम्मेदारों ने सुरक्षा मानकों का, गुणवत्ता का ध्यान क्यों नहीं रखा? बड़ा बजट खपाने के बाद अब फिर से मरम्मत के लिए प्रस्ताव बन रहा है।
काश्तकार और बीमारों की फजीहत
पटुवाडांगर-बसानी मोटरमार्ग से देवीधूरा, पापड़ी, बोहरागांव, बेल, नाइसिला, सेला आदि गांव जुड़े हैं। इन गांवों के लोगों का जीवन खेती और दुग्ध कारोबार से चलता है। बीते माह आठ अगस्त को मोटरमार्ग जगह-जगह टूट जाने से मार्ग पर चार पहिया वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप है।
जिस कारण काश्तकारों को अपने उत्पाद लेकर पैदल नैनीताल या आसपास के बाजार तक आना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा समस्या मरीजों के लिए है। अगर गांव में कोई भी बीमार पड़ जाए तो उसे अस्प्ताल तक पहुंचाने के लिए ग्रामीणों को काफी दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है।
30 करोड़ है प्रोजेक्ट की लागत
मोटरमार्ग का दो फेज में करीब 30 करोड़ की लागत से निर्माण किया गया। पहले फेज में 16 करोड़ से रोड कटिंग, सुरक्षा दीवार निर्माण और दूसरे फेज में कलवर्ट, पुल निर्माण और डामरीकरण किया गया है, मगर 30 करोड़ की भारी भरकम राशि खर्चने के बाद ग्रामीणों को सिर्फ दो महीने के लिए सड़क सुविधा मिली।
दो माह बाद ही सड़क का ऐसा हश्र गुणवत्ता पर सवाल खड़े करता है। रोड निर्माण से पूर्व भूगर्भीय सर्वे की रिपोर्ट और अलाइनमेंट के अनुसार कार्य नहीं करने पर ऐसी समस्या आती है। जिसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। विभाग को देवीधूरा से बोहरागांव तक सड़क खोलने को दो दिन का अल्टीमेटम दिया गया है। यदि सड़क नहीं खुली तो जनता संग आंदोलन करेंगे।
हरीश बिष्ट, ब्लाक प्रमुख भीमताल।
सड़क टूटने से काश्तकारों और अन्य ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। करीब एक माह बाद भी सड़क पर वाहनों का संचालन शुरू नहीं हो पाया है, जो बेहद निंदनीय है।
-धमेंद्र सिंह रावत, ग्राम प्रधान देवीधूरा।
भारी वर्षा के दौरान मार्ग क्षतिग्रस्त हुआ है। जिसमें करीब 20 स्थानों पर डेंजर जोन चिह्नित किए गए है। मार्ग क्षतिग्रस्त होने के पीछे गुणवत्ता कारण नहीं है, क्योंकि देहरादून से विशेषज्ञ टीम के निरीक्षण के बाद वाहनों का संचालन शुरू किया गया था।
पूर्व में सड़क कटाने के बाद कुछ वर्षो तक उसे छोड़ दिया जाता था, मगर अब टारगेट के आधार पर निर्धारित समय पर सड़क निर्माण कार्य पूरा करना होता है। जिससे कटिंग के बाद सड़क के किनारों को सेटल होने का समय नहीं मिल पाता। मलबा हटाने का इस्टीमेट जिला प्रशासन को भेजा गया है। भूधंसाव की रोकथाम के लिए प्रस्ताव शासन को भेजे जा रहे है।
-मनोज कुमार, ईई पीएमजीएसवाई, नैनीताल।
32 किमी सड़क करीब 20 स्थानों पर भूधंसाव से टूट गई है। यह प्राकृतिक आपदा है। विभाग की ओर से दोबारा सड़क निर्माण व मरम्मत कार्य के प्रस्ताव बनाकर जिला प्रशासन को भेजे गए है। साथ ही बसानी की ओर से भूधंसाव रोकथाम कार्य शुरू करवा दिए गए है।
नेहा अमरीन, सहायक अभियंता पीएमजीएसवाई।
NEWS SOURCE : jagran