तमिलनाडु में पिछले 11 दिनों से दक्षिण कोरिया की जानीमानी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी सैमसंग के लगभग डेढ़ हजार कर्मचारी हड़ताल पर हैं. इससे कंपनी में प्रोडक्शन का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
भारत में सैमसंग की दो फैक्ट्रियां हैं. इनमें से एक चेन्नई शहर में है, जहां लगभग दो हज़ार कर्मचारी काम करते हैं.
इस फैक्ट्री में होम अप्लायंसेज जैसे प्रोडक्ट बनाए जाते हैं. भारत में कंपनी की 12 अरब डॉलर की कमाई में इस फैक्ट्री का लगभग एक तिहाई योगदान है.
कंपनी के हड़ताली कर्मचारी आजकल हर दिन सत्रह साल पुरानी इस फैक्ट्री के नज़दीक धरने पर बैठ रहे हैं.
कर्मचारियों की मांग है कि कंपनी प्रबंधन नई बनी लेबर यूनियन- ‘द सैमसंग इंडिया लेबर वेलफे़यर यूनियन’ (एसआईएलडब्ल्यूयू) को मान्यता दे. उनका कहना है केवल यूनियन ही कंपनी से बेहतर वेतन और काम के घंटे पर बातचीत करने में मदद कर सकता है.
कर्मचारियों की मांगें?
सीटू के मुताबिक़ सैमसंग की इस फैक्ट्री में कर्मचारियों का औसत वेतन 25 हजार रुपये प्रतिमाह है. कर्मचारियों की मांग है कि अगले तीन साल में उनके वेतन में 50 फ़ीसदी की बढ़ोतरी की जाए.
सीटू का कहना है कि “कर्मचारियों पर रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन और टीवी जैसे प्रोडक्ट्स को 10 से 15 सेकेंड के अंदर फिनिश करने का दबाव बनाया जा रहा है.”
उन्हें लगातार चार से पांच घंटे काम करने को कहा जा रहा है वो भी उस माहौल में जहां इंडस्ट्रियल सेफ्टी की कमी है.
वहीं सैमसंग इंडिया ने एक बयान में कहा, “हम इस बात का खंडन करते हैं कि कर्मचारियों को चार से पांच घंटे लगातार काम कराया जाता है. सभी कर्मचारियों को बीच-बीच में ब्रेक दिया जाता है.”
“कर्मचारी अपने टास्क के अनुसार काम करते हैं क्योंकि प्रोडक्ट्स को कन्वेयर लाइन से गुज़ारा जाता है. उन्हें किसी प्रोडक्ट को इतने कम समयसीमा में फिनिश करने की ज़रूरत नहीं है, जो कि वास्तविक नहीं है. हम फिर से कहना चाहते हैं कि हम सभी क़ानूनों और नियमों का पालन कर रहे हैं.”
लेकिन सौंदर्यराजन ने आरोप लगाया है कि कर्मचारियों पर इस बात का दबाव डाला जा रहा है कि वो नई यूनियन की सदस्यता छोड़ दें. इसके लिए कर्मचारियों के परिवार वालों को भी धमकियां दी जा रही है.
सैमसंग इंडिया ने अपने बयान में कहा है, ”कंपनी इन सभी आरोपों से इनकार करती है. वो श्रम क़ानूनों का पूरी तरह पालन कर रही है.”
इस बीच, तमिलनाडु के श्रम मंत्री सीवी गणेशन ने बताया है कि उन्होंने लेबर यूनियन के पदाधिकारियों को भरोसा दिलाया है कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत जारी है.
उन्होंने कहा, ”हम कर्मचारियों की मांगें पूरी करेंगे.”
सैमसंग फैक्ट्री के सामने धरने पर बैठे एक कर्मचारी सीजो (बदला हुआ नाम) ने कहा कि वो इसमें शामिल होने के लिए हर दिन ठीक सुबह आठ बजे यहां पहुंच जाते हैं और शाम पांच बजे तक यहां रहते हैं.
यहां उनके साथ सैमसंग इंडिया की नीली यूनिफॉर्म में उनके जैसे सैकड़ों कर्मचारी बैठे हुए हैं.
धरने पर बैठे कर्मचारियों के लिए भोजन और पानी का बंदोबस्त यूनियन कर रही है. कर्मचारियों के लिए टेंट भी लगाए गए हैं ताकि बाहर के लोग वहां न आ पाएं. यहां वॉशरूम नहीं हैं, इसलिए कर्मचारियों को यहां से बाहर जाना पड़ता है.
सीजो ने कहा, ”जब से फैक्ट्री लगी है तब से कर्मचारी बगैर कोई शिकायत किए काम कर रहे हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों से चीजें ख़राब होती जा रही हैं और अब हमें एक यूनियन की मदद की जरूरत है.”
उन्होंने कहा कि महंगाई जिस हिसाब से बढ़ रही है उस हिसाब से वेतन नहीं बढ़ रहा है. इस वजह से घर खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है.