लखनऊ : उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों तक अब लोगों को आवागमन में पहले से कहीं ज्यादा सुविधा होगी। दरअसल, प्रदेश सरकार ने धार्मिक स्थलों पर इलेक्ट्रिक बसों के उपयोग की योजना बनाई है। सरकार की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की योजना के अनुरूप परिवहन निगम ने प्रथम चरण में अपने बस बेड़े में 250 इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने का निर्णय लिया है। इसके लिए भारत सरकार की ‘फेम टू’ योजना के तहत मिलने वाले 40 प्रतिशत अनुदान के लिए पत्र भेजा गया है।
केंद्र सरकार ने दी सैद्धांतिक सहमति
बयान के अनुसार, भारत सरकार ने इस संबंध में विचार करने के लिए अपनी सैद्धांतिक सहमति दी है। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर ने बताया कि प्रदेश सरकार के निर्देशों के अनुपालन में परिवहन निगम के बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को बढ़ाने की योजना है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार का इरादा प्रमुख धार्मिक स्थलों जैसे अयोध्या, काशी, प्रयागराज, मथुरा, चित्रकूट को प्रदेश की राजधानी से इलेक्ट्रिक बसों के माध्यम से सीधे जोड़ने का है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक बसें प्रदूषणमुक्त, पर्यावरण हितैषी होने के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी किफायती हैं।
पुरानी पेंशन योजना बहाल करने से उत्तर प्रदेश सरकार का इनकार
उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल करने से साफ इनकार कर दिया। इसके विरोध में समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने विधानसभा में सपा के सदस्यों अनिल प्रधान, पंकज मलिक और अन्य द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) एक अप्रैल 2005 से लागू की गई थी। सरकार अब पुरानी योजना को बहाल करने पर विचार नहीं कर रही है।
नई योजना में औसतन 9.32 फीसदी ब्याज
खन्ना ने सपा सदस्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी के भविष्य की बेहतर सुरक्षा होने की बात पर जोर दिये जाने के संबंध में कहा कि नयी योजना को कर्मचारी संगठनों से बातचीत के बाद लागू किया गया है। नयी योजना में औसतन 9.32 फीसदी ब्याज दिया जाता है। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री ने कहा, ‘‘वे (कर्मचारी) आठ प्रतिशत ब्याज चाहते थे और नयी पेंशन योजना के तहत 9.32 प्रतिशत की औसत ब्याज दर दी गई है।’’
उन्होंने कहा कि योजना के तहत 85 फीसदी धन सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश किया गया है, जबकि बाकी 15 फीसदी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), युनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (यूटीआई) और जीवन बीमा निगम (एलआईसी) जैसे ‘फंड मैनेजर’ के पास है, जिनकी साख के बारे में सभी को पता है। बहरहाल, सपा सदस्य सरकार के इस जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन कर गये।
NEWS SOURCE : indiatv