शिवसेना के दोनों गुटों में सुलह कराने को तैयार हुआ ये नेता, क्या शिंदे और उद्धव आएंगे एक साथ?

महाराष्ट्र में शिवसेना के मंत्री संजय शिरसाट ने कहा कि वह अपनी पार्टी और उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के बीच सुलह कराने को तैयार हैं, लेकिन ‘पहले दिल मिलना जरूरी है।’ शिवसेना प्रवक्ता ने शनिवार को एक मराठी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि वह और उनकी पार्टी के कई सहयोगी आज भी शिवसेना (UBT) नेताओं के साथ अच्छे संबंध रखते हैं।

शिवसेना में दो फाड़ नहीं हैं खुश

शिरसाट ने कहा कि बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना में दो फाड़ होने से वह खुश नहीं हैं, जिसका नेतृत्व अब महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि अगर उन्हें मौका मिले तो क्या वह सुलह कराने की कोशिश के लिये तैयार हैं?

पहले दिल मिलना जरूरी

इस सवाल के जवाब में शिरसाट ने कहा, ‘मैं ऐसा करने को तैयार हूं, लेकिन पहले दिल मिलना जरूरी है।’ उन्होंने कहा कि दोनों दलों के नेता अब भी एक-दूसरे से गर्मजोशी से मिलते हैं। शिरसाट ने कहा, ‘लेकिन दूरी इतनी हो गई है कि अगर इसे अभी नहीं मिटाया गया तो बाद में संबंधों को सुधारना मुश्किल हो जाएगा।’ 

हम एक-दूसरे की गलतियों को कर सकते हैं माफ

यह पूछे जाने पर कि क्या शिवसेना (UBT) नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे (34) सुलह करा सकते हैं? इस सवाल के जवाब पर शिरसाट ने कहा कि युवा नेता ऐसी स्थिति में नहीं है क्योंकि उनकी उम्र अभी उतनी नहीं हैं। शिरसाट ने शिवसेना (UBT) नेताओं की बयानबाजी का जिक्र करते हुए कहा, ‘हम एक-दूसरे की गलतियों को माफ कर सकते हैं। अगर आपको लगता है कि एक-दूसरे को अपमानित करके आप साथ आ सकते हैं, तो यह संभव नहीं है।’

जून 2022 में मूल शिवसेना दो गुटों में बंटी

जून 2022 में मूल शिवसेना पार्टी दो गुटों में बंट गई, जब शिंदे ने विद्रोह कर दिया था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने के लिए शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ गठबंधन कर लिया था। इसके बाद, उन्हें पार्टी का नाम और इसका चुनाव चिह्न ‘धनुष और बाण’ मिला। विभाजन के बाद से शिवसेना के दोनों गुट एक-दूसरे पर लगातार बयानबाजी कर हैं। 

चुनाव में उद्धव ठाकरे की पार्टी को लगा झटका

बता दें कि पिछले साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा नीत महायुति गठबंधन में भागीदार शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने 288 सीट में से 57 सीट जीती थीं। इसके विपरीत, महा विकास आघाडी (MVA) के तहत कांग्रेस और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP-SP) के साथ गठबंधन करने वाली शिवसेना (UBT) को केवल 20 सीट मिलीं। कुल मिलाकर, महायुति ने 230 सीट जीतीं, जबकि एमवीए को सिर्फ 46 सीट मिलीं थी।

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