बीते 16 दिसंबर को विजय दिवस के मौके पर 1971 युद्ध में पाकिस्तान सेना के सरेंडर वाली तस्वीर को आर्मी हेडक्वार्टर से हटाने को लेकर काफी विवाद हुआ था। 1971 के आत्मसमर्पण की प्रतिष्ठित पेंटिंग को मानेकशॉ सेंटर में स्थापित किया गया था। वहीं रायसीना स्थित सेना के मुख्यालय में एक नई पेंटिंग लगाई गई थी। तब कांग्रेस समेत विपक्ष ने इस कदम की आलोचना की थी और प्रियंका गांधी ने इस मुद्दे को सदन में भी उठाया था। अब भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इसकी वजह बताई है। जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमवार को बताया है कि नई पेंटिंग कई मायनों में भारत की संस्कृति से जुड़ी हुई है।जनरल द्विवेदी ने नई पेंटिंग ‘कर्म क्षेत्र’ को बनाने का का श्रेय 28 मद्रास रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल थॉमस जैकब को दिया है। उन्होंने बुधवार को कहा, “अगर आप भारत के स्वर्णिम इतिहास को देखें, तो इसमें तीन अध्याय हैं। इसमें ब्रिटिश काल, मुगल काल और उससे पहले का काल है। यदि हम इसे सेना के दृष्टिकोण से जोड़ना चाहते हैं तो यह और महत्वपूर्ण हो जाता है। जनरल द्विवेदी ने कहा कि पेंटिंग लेफ्टिनेंट कर्नल जैकब ने बनाई है जो सेना से जुड़े हैं।
उन्होंने आगे कहा, “नई पेंटिंग ‘कर्म क्षेत्र’ का अर्थ है कर्मों का क्षेत्र। सेना प्रमुख ने कहा कि यह अतीत, वर्तमान और भविष्य का प्रतीक है। जनरल द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि सेना प्रमुख के पास दो लाउंज हैं और आत्मसमर्पण वाली पेंटिंग मानेकशॉ सेंटर के लाउंज में है। सेना के मुताबिक नई पेंटिंग सेना को धर्म के संरक्षक के रूप में दर्शाती है जो राष्ट्र के मूल्यों की रक्षा करती है।
बता दे कि नई पेंटिंग में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के आसपास बर्फ से ढके पहाड़, कृष्ण का रथ और चाणक्य को दिखाया गया है जो रणनीतिक ज्ञान का प्रतीक है। सेना प्रमुख ने कहा कि यह पेंटिंग मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई थी।
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