हरीश रावत उत्तराखंड के सबसे कद्दावर नेता हैं. करीब साठ सालों से राजनीति में हैं | ब्लॉक प्रमुख से लेकर केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री तक के पदों पर रह चुके हैं | इस दौर में अनेक नेता अपने बेटे और बेटियों को राजनीति में स्थापित कर चुके हैं | हरीश रावत के कई जूनियर नेता अपने बच्चों को राजनीति में स्थापित कर चुके हैं लेकिन हरीश रावत कभी ऐसे प्रयास में नज़र नहीं आये | हालांकि उनके परिवार में इसके लिए बेचैनी जरूर दिखाई देती रही है |
खुद मुख्यमंत्री रहते उन्होंने अपनी पत्नी को हरिद्वार सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ाया था तो उस समय भी यह सवाल उठा था कि उन्होंने अपने बेटे को चुनाव क्यों नहीं लड़ाया | गत विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी बेटी को हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र से मैदान में उतारा था तो भी सवाल उठा था कि बेटी क्यों? बेटा क्यों नहीं? अब क्या कहें! जितने मुंह उतनी बातें |
अब खबर आ रही है कि हरीश रावत आगामी लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट से अपने बेटे वीरेंद्र रावत को कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार बनाने जा रहे हैं | हालांकि हरीश रावत ने अभी तक अपने समर्थकों से अपने दिल की बात नहीं की है लेकिन हरीश रावत की बढ़ती उम्र और क्षेत्र में वीरेन्द्र रावत की सक्रियता इस बात की चुगली कर रहे हैं कि जरूर पर्दें के पीछे कुछ चल रहा है | जहाँ तक वीरेन्द्र रावत का सवाल है तो उन्होंने हरिद्वार क्षेत्र के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में अपनी एक लाॅबी बना ली है जो उन्हें चुनाव लड़ाना चाहती है | देखते हैं कि कांग्रेस हाईकमान हरीश रावत के बेटे पर भरोसा करती ह|