नैनीताल: उत्तराखंड में अतिवृष्टि का कहर थम गया है लेकिन कुमाऊं में जन जीवन पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पाया है। चीन सीमा से तीन दिन बाद बुधवार को भी संपर्क बहाल नहीं हो पाया है। मंडल में 83 सड़कें अभी भी बंद पड़ी हालत में हैं। कुमाऊं मंडल में लगातार दूसरे दिन अतिवृष्टि से लोगों को कुछ राहत मिली लेकिन यहां अभी भी हालात असामान्य हैं।
अकेले पिथौरागढ़ जिले में 28 सड़कें बंद
पिथौरागढ़ से लगे चीन सीमा से तीन दिन बाद भी संपर्क बहाल नहीं हो पाया है। चीन सीमा को जोड़ने वाले पांच बॉर्डर मार्ग अभी भी बंद पड़े हुए हैं। प्रमुख कैलाश मानसरोवर मार्ग (घटियाबगड़-लिपूलेख मार्ग) कई जगह क्षतिग्रस्त होने से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में लोगों की आवाजाही नहीं हो पा रही है। बॉर्डर को जोड़ने वाली पिथौरागढ़-तवाघाट, घटियाबगड़-लिपूलेख, तवाघाट-सोबला, गूंजी-कुटी-ज्योलिंकोंग एवं धापा-मिलम सड़कें ठप हैं। अकेले पिथौरागढ़ जिले में 28 सड़कें बंद हैं। इनमें ग्रामीण मार्ग सबसे अधिक हैं। बागेश्वर जिले के भी कमोबेश यही हाल हैं। यहां 18 ग्रामीण सड़कें बंद हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की हालत खराब
पिंडारी ग्लेशियर को जोड़ने वाला कपकोट-पिंडारी ग्लेशियर सड़क और मुनार-गासी मोटर मार्ग तो विगत एक जुलाई से ठप पड़े हुए हैं। प्रशासन युद्धस्तर पर इन सड़कों को खोलने में जुटा हुआ है। बताया जा रहा है कि आगामी 13 जुलाई तक इन सड़कों पर यातायात बहाल नहीं हो पाएगा। अल्मोड़ा और नैनीताल जिले में भी ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की हालत खराब है। यहां तीन राज्यमार्ग समेत कुल 37 मार्ग बंद पड़े हुए हैं। इनमें 34 ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। नैनीताल जिले में 23 जबकि अल्मोड़ा में 14 सड़कें बंद हैं।
NEWS SOURCE Credit : punjabkesari