संभल: अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मिर्जापुर लोकसभा सीट से सांसद अनुप्रिया पटेल ने संसद में जियाउर्रहमान बर्क के उर्दू में शपथ लेने की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि ये परंपरा सही नहीं है। इस परम्परा को बंद कर देना चाहिए। इसे लेकर समाजवादी पार्टी से सांसद धर्मेंद्र यादव ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि अनुप्रिया को तमिल/तेलगू/उड़िया/कन्नड़ा में शपथ लेने वाले सदस्यों से कोई आपत्ति नहीं हुई। जबकि कि समाजवादी पार्टी से सांसद को उर्दू में शपथ लेने से दिक्कत है। उन्होंने कहा कि जब शुरू किया है तो सुनना भी सीखो। पहले कान को अच्छा लग रहा था। अब क्यों बुरा लग रहा है।
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दरअसल, मंगलवार को नवनिर्वाचित लोकसभा सांसदों को शपथ दिलाई गई। इस दौरान संसदीय मर्यादाओं को आघात पहुंचाने में निर्वाचित कई सांसदों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। संसद की सदस्यता ग्रहण करते हुए वह शपथ तो यह ले रहे थे कि ‘भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा व निष्ठा रखूंगा’, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह में भी राजनीतिक संदेश ज्यादा हावी रहा।
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क्योंकि मेरठ सांसद अरुण गोविल की शपथ के दौरान राम मंदिर मुद्दे के प्रभावहीन होने का संदेश देने की कोशिश विपक्ष ने की और अयोध्या से जीते सपा सांसद अवधेश प्रसाद की जय-जयकार शुरू कर दी। वहीं दूसरे सपा सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क़ ने उर्दू में शपथ ली। एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तो हदें पार कर दीं। इसे उनकी धार्मिक स्वतंत्रता माना जा सकता है कि शपथ से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ा और उर्दू में शपथ ली। उन्होंने ”जय भीम, जय तेलंगाना और जय फलस्तीन” का नारा लगाया, इस पर सत्ता पक्ष के सांसदों ने कड़ी नाराजगी जाताई। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद की टीवी से उनके इस नारे को हटाने का आदेश दे दिया।
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NEWS SOURCE : punjabkesari
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