हरियाणा: अग्निवीर योजना का क्या हरियाणा विधानसभा चुनाव में कोई असर पड़ सकता है?

साल 2022 में केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना का एलान किया, जिसके तहत सेना में अग्निवीरों की भर्ती का प्रस्ताव था. लेकिन यह योजना रास नहीं कई युवाओं ने सेना में जाने के इरादे बदल दिए.

हरियाणा के गांव में  हज़ारों युवा हैं, जिनकी अपनी कहानी और अपना अलग संघर्ष है.

तैयारी कर रहे युवाओं का कहना है?

भिवानी का भीम स्टेडियम जहाँ बनियान, शॉर्ट्स और ट्रैक सूट पहने कई लड़के और लड़कियों का समूह दौड़ लगा रहा है.

नवंबर में अग्निवीर के लिए भर्ती परीक्षा होनी है और युवाओं के पास तैयारी के लिए कम दिन ही बचे हैं.

हालांकि इनमें से ज़्यादातर युवाओं की तैयारी में उत्साह नहीं झलक रहा है.

चरखी दादरी के रहने वाले गणेश पिछले प्रयास में सेना की शारीरिक परीक्षा पास नहीं कर पाए थे. वो कहते हैं, “मेरे साथ गाँव के बहुत बच्चे फौज की तैयारी कर रहे थे लेकिन अग्निवीर के बाद उनका जुनून ख़त्म हो गया है.”

वह कहते हैं, “दूसरी नौकरी मिलना भी आसान नहीं है इसलिए इसी में दम लगाएंगे. ये मेरे लिए सिर्फ़ नौकरी नहीं बल्कि पूरी ज़िंदगी का सवाल है.”

स्टेडियम में तैयारी कर रहे बच्चों को कोचिंग दे रहे राजेश कहते हैं, “इस ग्राउंड पर पहले डेढ़ हज़ार बच्चे तक प्रैक्टिस करते थे. अग्निवीर के बाद ये संख्या घटकर 300 पर आ गई है.”

वे कहते हैं, “चार साल की सेवा अवधि को लेकर बच्चों के माता-पिता बहुत निराश हैं और अब वे अपने बच्चों को तैयारी के लिए नहीं भेजना चाहते.”

लेकिन अग्निवीर को लेकर यहां सभी निराश हैं या मजबूरी में तैयारी कर रहे हैं, ऐसा भी नहीं है. लोहारू के रहने वाले जितेंद्र बड़े उत्साह से तैयारी में जुटे हैं.

दौड़ के बीच मिले एक ब्रेक के दौरान पसीने से तर बतर लेकिन रोमांचित नज़र आ रहे जितेंद्र कहते हैं, “मैंने बचपन से सोच रखा था कि मुझे देश की सेवा करनी है.”

वह कहते हैं, “भले ही फिर चार महीने हो या फिर चार साल, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.”

जितेंद्र कहते हैं, “जिन्होंने अग्निवीर आने के बाद मन बदला, दरअसल उन्हें आर्मी में जाना ही नहीं था.”

विपक्ष का कहना है.

अग्निपथ योजना के लॉन्च होने के बाद से विपक्षी पार्टियां इसे लेकर आक्रामक हैं.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस योजना की शुरुआत से ही भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर हैं.

उन्होंने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था, “अग्निवीर योजना को हम कूड़ेदान में उठाकर फेंक देंगे. एक सैनिक को शहीद का दर्जा मिलेगा दूसरे को शहीद का दर्जा नहीं मिलेगा.”

“एक सैनिक को पेंशन मिलेगी दूसरे को नहीं मिलेगी. एक शहीद के परिवार को रक्षा मिलेगी, दूसरे शहीद के परिवार को नहीं मिलेगी. अग्निपथ योजना को हम उठाकर डस्टबिन में फेंकने वाले हैं.”

हरियाणा की कांग्रेस लीडरशिप भी अग्निवीर को चुनावी मुद्दा बना रही है.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा से लेकर रणदीप सुरजेवाला तक चुनावी मंचों पर अग्निवीर योजना की आलोचना कर रहे हैं.

नारनौल में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, “अग्निवीर योजना का सबसे ज़्यादा नुक़सान हरियाणा और ख़ासकर दक्षिण हरियाणा को हुआ है. प्रदेश से पहले हर साल पाँच हज़ार युवा फौज में भर्ती होते थे लेकिन अब केवल 250 ही भर्ती हो पाते हैं.”

अपने-अपने क्षेत्रों में प्रचार के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार भी अग्निवीर योजना को मुद्दा बना रहे हैं.

कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और भिवानी जिले की बवानी खेड़ा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप नरवाल कहते हैं, “भिवानी ने देश को सिपाही से लेकर जनरल रैंक तक के अफसर दिए हैं, लेकिन अग्निवीर योजना के बाद स्टेडियम खाली हो गए हैं.”

वे कहते हैं, “ना सिर्फ़ सेना बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है. हमारे यहाँ यह बहुत बड़ा मुद्दा है और हम अग्निवीर को वापस करवाने के लिए संघर्ष करते रहेंगे.

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