- नया ज़ोन सिमुलेशन, उत्पाद डिज़ाइन और डिजिटल ट्विन शोध में नवाचार को बढ़ावा देगा
- वास्तविक दुनिया की चुनौतियों से निपटने के लिए उन्नत तकनीकों को एकीकृत करना
- इमर्सिव, अंतःविषय और उद्योग-संरेखित: आईआईटी रुड़की में शिक्षा का भविष्य
- सुविधा एआर, वीआर, एआई और स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में अगली पीढ़ी के शोध के लिए द्वार खोलती है
- सिमुलेशन, सहयोग और वास्तविक समय के आभासी अनुभव के लिए एक नवाचार केंद्र
- एक्सआर, हैप्टिक्स और डिजिटल वातावरण के साथ इंजीनियरिंग शिक्षा को फिर से परिभाषित करना
आईआईटी रुड़की, उत्तराखंड, भारत – 15 मई, 2025: इमर्सिव लर्निंग एवं अनुभवात्मक शोध की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने रीथिंक! टिंकरिंग लैब में अपनी मेटावर्स ज़ोन सुविधा का उद्घाटन किया। यह अग्रणी पहल 1981 के पूर्व छात्रों के उदार समर्थन के माध्यम से संभव हुई है, जो तकनीकी नवाचार और भविष्य के लिए तैयार शिक्षा के प्रति उनकी स्थायी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।


मेटावर्स ज़ोन एक अत्याधुनिक सुविधा है जो उन्नत विस्तारित वास्तविकता (एक्सआर) उपकरणों से सुसज्जित है, जिसमें पूरे शरीर के हैप्टिक सूट, हाव-भाव-पहचान वाले दस्ताने, 360° कैमरे, वीआर हेडसेट, 3D लाइडर स्कैनर और उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग सिस्टम शामिल हैं। यूनिटी, अनरियल इंजन, माया, ब्लेंडर और एडोब सूट जैसे उद्योग-मानक प्लेटफ़ॉर्म द्वारा संचालित, यह ज़ोन छात्रों और शोधकर्ताओं को हाइपर-यथार्थवादी वर्चुअल वातावरण बनाने, उनसे बातचीत करने और उनका परीक्षण करने में सक्षम बनाता है।
यह मेटावर्स ज़ोन कई तरह के परिवर्तनकारी अनुप्रयोगों के लिए एक गतिशील प्लेटफ़ॉर्म के रूप में काम करेगा, जिसमें बुनियादी ढांचे के विकास, आपदा प्रतिक्रिया, स्मार्ट सिटी प्लानिंग और कई अन्य क्षेत्रों में इमर्सिव सिमुलेशन शामिल हैं। यह वर्चुअल उत्पाद डिज़ाइन और रैपिड प्रोटोटाइपिंग को सक्षम करेगा, अवधारणा से लेकर निर्माण तक नवाचार को बढ़ावा देगा। यह सुविधा अनुसंधान और शिक्षा में भौगोलिक बाधाओं को तोड़ते हुए, विभिन्न विषयों में दूरस्थ, उच्च-निष्ठा सहयोग का भी समर्थन करती है। इसके अतिरिक्त, यह सुरक्षा-महत्वपूर्ण डोमेन के लिए यथार्थवादी प्रशिक्षण वातावरण प्रदान करता है, जिससे तैयारी और निर्णय लेने में वृद्धि होती है। मानव-कंप्यूटर इंटरैक्शन और डिजिटल ट्विन सिस्टम में उन्नत शोध पर ज़ोर देने के साथ, यह ज़ोन आईआईटी रुड़की को अगली पीढ़ी के अनुभवात्मक शिक्षण और नवाचार में सबसे आगे रखता है।
उद्घाटन समारोह में दीप प्रज्ज्वलन, नई सुविधा का अवलोकन एवं प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों तथा वरिष्ठ संकाय सदस्यों द्वारा प्रेरक संबोधन शामिल थे। इस समारोह में कई प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने समारोह को गौरवान्वित किया, जिन्होंने इस कार्यक्रम को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रायोजित अनुसंधान एवं औद्योगिक परामर्श (स्रिक) कुलशासक प्रोफेसर अक्षय द्विवेदी व संसाधन एवं पूर्व छात्र मामलों के कुलशासक प्रोफेसर आर डी गर्ग ने अंतःविषय अनुसंधान को आगे बढ़ाने तथा उद्योग-अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने में मेटावर्स ज़ोन के रणनीतिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रेरक संबोधन दिए। उनके साथ, कॉरपोरेट इंटरैक्शन के सह – कुलशासक प्रोफेसर साई रामुडू मेका व औद्योगिक इंटरैक्शन के सह – कुलशासक प्रोफेसर विवेक कुमार मलिक ने शिक्षा एवं नवाचार में अत्याधुनिक तकनीकों को एकीकृत करने के लिए आईआईटी रुड़की की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। 1981 के पूर्व छात्र बैच के प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों की उपस्थिति, जिनमें श्री आलोक के अग्रवाल, श्री संजय रणधर, श्री शरद बाजपेयी, श्री पंकज रस्तोगी, श्री राकेश वर्मा और श्री नरेंद्र सिंह शामिल थे, ने पूर्व छात्रों के निरंतर समर्थन को पुष्ट किया, जिसने इस दूरदर्शी सुविधा को संभव बनाया। रीथिंक! द टिंकरिंग लैब के समन्वयक प्रोफेसर करुण रावत एवं मीडिया सेल प्रभारी श्रीमती सोनिका श्रीवास्तव के प्रयासों से यह कार्यक्रम और समृद्ध हुआ।

इस अवसर पर आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. कमल किशोर पंत ने कहा, “आईआईटी रुड़की में मेटावर्स ज़ोन शिक्षा के भविष्य की दिशा में एक साहसिक कदम है। यह गहन शिक्षण और अनुसंधान के लिए एक शक्तिशाली पारिस्थितिकी तंत्र बनाता है, जिससे हमारे छात्र और संकाय अत्याधुनिक डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके जटिल चुनौतियों को हल कर सकते हैं।”
1981 के पूर्व छात्र बैच के प्रतिनिधि श्री आलोक के. अग्रवाल ने कहा, “हमें ऐसी सुविधा का समर्थन करने पर गर्व है जो रचनात्मकता, प्रौद्योगिकी और उद्देश्य का मिश्रण है। यह क्षेत्र अगली पीढ़ी को सीमाओं से परे सोचने और भारतीय धरती से वैश्विक नवाचार का नेतृत्व करने के लिए प्रेरित करेगा।”
इस पहल का नेतृत्व एवं समन्वय रीथिंक! द टिंकरिंग लैब के समन्वयक प्रो. करुण रावत ने किया, जिन्होंने इस सुविधा की परिकल्पना और क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके प्रयासों ने अकादमिक और शोध उद्देश्यों के साथ अत्याधुनिक तकनीकों के सहज एकीकरण को सुनिश्चित किया है, जिससे अंतःविषय नवाचार के लिए अपार संभावनाएं उपलब्ध हुई हैं।
1847 में स्थापित, IIT रुड़की एशिया का सबसे पुराना इंजीनियरिंग कॉलेज है। 175 से अधिक वर्षों की विरासत के साथ, यह विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त केंद्र के रूप में विकसित हुआ है।
मेटावर्स ज़ोन, शैक्षिक नवाचार और सामाजिक प्रभाव के मामले में अग्रणी बने रहने के IIT रुड़की के मिशन में एक और मील का पत्थर है।