Chandrayaan-3. भारत का मिशन मून चंद्रयान-3 अब अपने अंतिम दौर पर पहुंच चुका है. इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त को शाम को होगी. पूरे भारत की चंद्रयान-3 से उम्मीदें लगी हुई हैं. हालांकि अच्छी बात यह है कि अभी तक सबकुछ सही तरीके से और चरणबद्ध तरीके से चल रहा है. हाल ही में चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर प्रोप्लशन मॉड्यूल से अलग हुआ था, जिसके बाद से चंद्रयान-3 की लैंडिंग प्रक्रिया के शुरू हो गई थी. विक्रम लैंडर अब चांद से महज 25 किलोमीटर दूर रह गया है. वहीं विक्रम लैंडर से अलग हुए प्रोपल्शन मॉड्यूल को लेकर बड़ी खबर आई है.
150 किलोग्राम फ्यूल बचा
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि जब चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग हुई थी. तब प्रोपल्शन मॉड्यूल में 1696.4 किलोग्राम फ्यूल था. इसके बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल के सहारे ही पृथ्वी के चारों तरफ पांच बार ऑर्बिट बदली गई. 6 बार इंजन ऑन किया गया था. इसके बाद चंद्रयान-3 के हाइवे पर गया. यानी ट्रांस-लूनर ट्रैजेक्टरी में पहुंचा. फिर चंद्रमा के चारों तरफ 6 बार प्रोपल्शन मॉड्यूल का इंजन ऑन किया गया. कुल मिलाकर 1546 किलोग्राम फ्यूल खत्म हुआ. अब 150 किलोग्राम फ्यूल बचा हुआ है. यानी यह केवल 3 से 6 महीने ही नहीं बल्कि कई वर्षों तक काम कर सकता है. इस बात की पुष्टि इसरो चीफ डॉ. एस सोमनाथ ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए पुष्टि की.