पाड़ली गुर्जर के अंडरपास में जलभराव की समस्या से अभी तक निजात नहीं मिल पा रही है कानपुर की कंपनी ने किया था ट्रीटमेंट रेलवे का पाड़ली गुर्जर अंडरपास, वाटर ट्रीटमेंट के बाद भी अब तक पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाया है। अंडरपास में ट्रीटमेंट के बाद भी पानी जमा होने लगा है। संबंधित अधिकारियों का कहना है कि अंडरपास में जमा होने वाला पानी भूजल नहीं है बल्कि वह दीवारों से रिसकर आने वाला जल है।
रुड़की रेलवे स्टेशन के समीप रेलवे की ओर से करोड़ों के बजट से पाड़ली गुर्जर अंडरपास बनवाया गया है। अंडरपास बने करीब दो साल होने को हैं। पिछले साल अत्यधिक वर्षा होने के चलते अंडरपास में बहुत अधिक पानी भर गया था जिससे आवाजाही बंद करनी पड़ी थी। कई बार पानी निकलने का पर्यास किया गया । इसके बाद भी पानी भरा रहा। उसके जांच के बाद पता चला कि अंडरपास में यह पानी बरसात का नहीं बल्कि भूजल है
ऐसे में बड़े अंडरपास को बंद कर छोटे अंडरपास से ही आवाजाही शुरू करानी पड़ी। अंडरपास में भूजल जमा न हो, इसके लिए वाटर ट्रीटमेंट का जिम्मा कानपुर की एक एजेंसी को सौंपा गया । मई में एजेंसी ने अंडरपास में वाटर ट्रीटमेंट का काम शुरू किया था। करीब 4 माह तक ट्रीटमेंट चला। ट्रीटमेंट के बाद पिछले दिनों अंडरपास में यातायात संचालन शुरू कराया गया था लेकिन अब फिर से अंडरपास में पानी इकठ्ठा होने लगा है। लोगों का कहना है कि इस बार बारिश बेहद कम हुई है। अंडरपास में जो पानी है वह बारिश का नहीं है। अंडरपास में जमा पानी भूजल का हो सकता है। यदि बारिश होती है तो भूजल का स्तर बढ़ जाएगा और फिर से पहले जैसी स्थिति बन सकती है।
पाड़ली गुर्जर के अंडरपास में वाटर ट्रीटमेंट का कार्य पूरा हो चुका है। अब भूजल का रिसाव नहीं हो रहा है। अंडरपास में कुछ पानी जमा होने की शिकायत मिली थी। जांच करने पर यह पानी अंडरपास की साइडों की दीवार में बनाए गए होल से आता प्रतीत हो रहा है। अंडरपास की बाहरी दीवारों पर बारिश का पानी भर गया होगा। वहीं से पानी आया होगा।