उत्तराखंड में 65,000 स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 10 लाख महिलाओं को आपदा सखी के रूप में ट्रेनिंग दी जाएगी। उसके बाद यह महिलाएं आपदा राहत बचाव के कार्यों में गांव व तहसील स्तर पर सहयोग करेंगी।मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बुधवार को सचिवालय में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर सेन्डई (जापान) फ्रेमवर्क के क्रियान्वयन की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य को दूसरों की बजाए आपदा प्रबंधन का अपना मॉडल तैयार करने की जरूरत है।
उन्होंने निर्देश दिए कि अधिकारी अपनी सीमाओं से बाहर निकलकर एनजीओ, सिविल सोसाइटी, सामाजिक संस्थाओं एवं निजी विशेषज्ञों के सुझाव के आधार पर व्यापक दृष्टिकोण के साथ काम करे। उन्होंने कहा कि राज्य में जोखिम आकलन के लिए तत्काल मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण शुरू किया जाए। उन्होंने आपदा प्रबंधन में पूर्व सैनिकों का सहयोग लेने के भी निर्देश दिए।
साथ ही बच्चों को स्कूल स्तर पर ही आपदा प्रबंधन की जानकारी देने के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने के निर्देश दिए।आपदा जोखिम के लिए इन्श्योरेन्स योजना जरूरी :मुख्य सचिव ने कहा कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण में इन्श्योरेन्स योजना जरूरी है।
उन्होंने इस संदर्भ में कार्ययोजना बनाने में बरती जा रही ढिलाई पर सख्त नाराजगी जताते हुए विभाग को इस विषय पर गम्भीरता से विचार करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने राज्य में भवनों के निर्माण में भारी निर्माण सामग्री पर चिंता जताई। कहा, हल्के निर्माण को प्राथमिकता दिए जाने की जरूरत है। इस संदर्भ में राज्य केंद्रीय योजना बनाने की जरूरत है।
संवेदनशील गांवों की रिपोर्ट तलब
इस दौरान मुख्य सचिव ने राज्य में आपदा जोखिम की दृष्टि से संवेदनशील गांवों की रिपोर्ट तलब करते हुए कहा कि इन गांवों के पुनर्वास की कार्ययोजना की स्थिति स्पष्ट करने को कहा। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को सभी गांवों का आपदा जोखिम आकलन करने के निर्देश दिए हैं।
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