57वें इंजीनियर्स डे को उसकी थीम, “एआई-ड्रिवन टेक्नोलॉजीज के साथ सस्टेनेबिलिटी को ड्राइव करने वाले इंजीनियरिंग समाधान”,
इंजीनियरिंग और एआई की भूमिका को उजागर करती है जो वैश्विक चुनौतियों का समाधान करती है का प्रोग्राम NIH, ROORKEE में मनाया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता डॉक्टर एम.के.गोएल एन.आई.एच. के निदेशक ने बताया कि मेडिकल डॉक्टर एक या दो का इलाज करके जीवन बचाता है,
लेकिन इंजीनियर पानी की बचत और पानी के अनुसंधान कर लाखों लोगों तक पानी बचाता है, और उनकी जिंदगी बच पाती है।
उनके दवारा यह भी बताया गया की . कृत्रिम होशियारी (एआई)- अनुकूलित जल प्रबंधन प्रणाली दवारा NIH रूड़की में बहुत से मॉडल और सॉफ्टवेयर तैयार हो गए हैं जो निकट भविष्य में वेबसाइट पर रिसर्च कार्य के लिए अपलोड कर दिए जाएंगे.
प्रोग्राम के दौरान श्री अखिलेश वर्मा प्रभारी चेयरमैन, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स द्वारा बताया गया की एआई-संचालित सस्टेनेबिलिटी समाधान निमन फील्ड में संभव है
- जलवायु परिवर्तन
- अत्यधिक मौसम की घटनाओं के लिए भविष्यवाणी मॉडल
- नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण का अनुकूलन
- कार्बन कैप्चर और उपयोग प्रौद्योगिकियां
- स्मार्ट कृषि
- एआई-संचालित फसल प्रबंधन और उपज अनुकूलन
- सटीक कृषि के लिए कम पानी और उर्वरक का उपयोग
- पशुओं की निगरानी और स्वास्थ्य प्रबंधन
- बुद्धिमान शहरी योजना
- एआई-संचालित यातायात प्रबंधन कम कांगेशन और उत्सर्जन के लिए
- स्मार्ट अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली कुशल रिसाइकलिंग के लिए
- ऊर्जा-कुशल निर्माण डिजाइन और अनुकूलन
- संसाधन प्रबंधन
- कुशल विनिर्माण प्रक्रियाएं और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन
- अपशिष्ट कमी और रिसाइकलिंग अनुकूलन
- ऊर्जा और बुनियादी ढांचा
- स्मार्ट ग्रिड्स ऊर्जा वितरण के लिए
- पर्यावरण परिवर्तन के प्रति प्रतिक्रिया करने वाली प्रणालियाँ
- एआई-संवर्धित बुनियादी ढांचे की निगरानी और रखरखाव
एआई-संचालित प्लेटफ़ॉर्म इंजीनियरों के लिए:
- वास्तविक समय निगरानी और विश्लेषण
- डेटा-संचालित निर्णय लेना
- भविष्यवाणी रखरखाव और अनुकूलन
- सिमुलेशन और मॉडलिंग टूल्स
- सहयोगी रोबोटिक्स और स्वायत्त प्रणालियाँ
एआई पर सस्टेनेबल इंजीनियरिंग का प्रभाव:
- बेहतर दक्षता 2. कम अपशिष्ट और उत्सर्जन
- संसाधन उपयोग में सुधार, 4. उत्पादकता में वृद्धि
- बेहतर निर्णय लेना
सर एम. विश्वेश्वरय्या के 163वें जन्मदिन पर 57वें इंजीनियर्स डे मनाया गया उनकी विरासत: भारत के सबसे प्रसिद्ध इंजीनियर के रूप में, सर एम. विश्वेश्वरय्या के हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर, सिंचाई और बुनियादी ढांचे विकास में योगदान आज भी प्रेरित करते हैं। उनकी नवाचार, दक्षता और स्थायित्व पर जोर आज भी प्रासंगिक है।
इस अवसर पर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर के मानद सचिव श्री मिकी दलबेहरा, एनआईएच के वैज्ञानिक श्री संजय कुमार, ओंकार सिंह और सभी वैज्ञानिक, संस्थान के सदस्य उपस्थित रहे.