कोयंबटूर की महिला अदालत ने छह साल की मशक्कत के बाद मंगलवार को 2019 के पोलाची यौन उत्पीड़न मामले में सभी नौ आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। नौ लोगों को आपराधिक साजिश, यौन उत्पीड़न, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और जबरन वसूली सहित कई आरोपों में दोषी पाया गया। 2019 के आम चुनावों से कुछ हफ़्ते पहले सामने आई इस घटना के कारण तमिलनाडु की तत्कालीन सत्तारूढ़ AIADMK पर निष्क्रियता और आरोपियों से संबंधों के आरोप लगने लगे और राजनीतिक रूप से उसे घेर लिया गया। अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलों के बाद न्यायाधीश आर नंदिनी देवी ने मंगलवार दोपहर को सजा सुनाई।

दोषी ठहराए गए व्यक्तियों में के थिरुनावुक्कारासु, एन सबरीराजन उर्फ रिशवंत, एम सतीश, टी वसंतकुमार, आर मणिवन्नन, हारोनिमस पॉल, पी बाबू उर्फ बाइक बाबू, के अरुलानंदम और एम अरुणकुमार शामिल थे। इन सभी को कार्यवाही के लिए सलेम सेंट्रल जेल से भारी सुरक्षा के बीच अदालत में लाया गया था। प्रत्येक पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376डी (सामूहिक बलात्कार) और 376(2)(एन) (एक ही महिला का बार-बार बलात्कार) सहित कठोर प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें से दोनों में न्यूनतम 20 साल की सजा है, जिसे संभवतः आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।