सुप्रीम कोर्ट बोला पटाखों पर प्रतिबंध रहेगा जारी दिल्ली नहीं देशभर में सिर्फ इन पटाखों को जलाने की इजाजत….

सुप्रीम कोर्ट बोला पटाखों पर प्रतिबंध रहेगा जारी दिल्ली नहीं देशभर में सिर्फ इन पटाखों को जलाने की इजाजत….

नई दिल्ली : दिवाली आने में अब महज कुछ ही दिन बचे हैं। देशभर में इस त्योहार को काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। रौशनी की इस पर्व पर लोग जश्न के लिए पटाखों को जलाते हैं और आतिशबाजी करते हैं। हालांकि, दिल्ली एनसीआर, मुंबई जैसे कई इलाकों में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कुछ पटाखों को जलाने पर बंदिशें लगाई गई हैं। पटाखों को जलाने पर पाबंदी का जिक्र हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में आया है।

ऐसे में हमें जानना चाहिए कि आखिर किस तरह के पटाखे प्रतिबंधित किए गए हैं? सुप्रीम कोर्ट का निर्णय क्या कहता है?
आखिर किस तरह के पटाखे प्रतिबंधित किए गए हैं?
बीते मंगलवार को बेरियम युक्त पटाखों पर प्रतिबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश दोहराया था। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि बेरियम युक्त पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का उसका आदेश हर राज्य पर लागू होता है। यह केवल दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है।

शीर्ष अदालत पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक लंबित याचिका में दायर हस्तक्षेप आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। इस आवेदन में राजस्थान सरकार को वायु और ध्वनि प्रदूषण की जांच के लिए कदम उठाने और दिवाली और शादियों के दौरान उदयपुर शहर में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने राजस्थान सरकार से दिवाली के दौरान पटाखे फोड़ने पर अपने पहले के निर्देशों का पालन करने को कहा।

शीर्ष अदालत ने कहा कि पटाखों के हानिकारक प्रभावों के बारे में आम लोगों को जागरूक करना महत्वपूर्ण है। विडंबना यह है कि आजकल बच्चे ज्यादा पटाखे नहीं फोड़ते हैं, लेकिन बुजुर्ग ऐसा करते हैं। यह गलत धारणा है कि जब प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण की बात आती है तो यह केवल अदालत का कर्तव्य है। इसके लिए लोगों को आगे आना होगा। वायु और ध्वनि प्रदूषण का प्रबंधन करना हर किसी का काम है।