आज राजकीय महाविद्यालय मंगलौर हरिद्वार के अर्थशास्त्र विभाग के अंतर्गत “महिला उद्यमिता एवं कौशल विकास सशक्त भारत के आर्थिक विकास का आधार” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन का शुभारंभ किया गया.

मंगलौर: आज राजकीय महाविद्यालय मंगलौर हरिद्वार के अर्थशास्त्र विभाग के अंतर्गत “महिला उद्यमिता एवं कौशल विकास सशक्त भारत के आर्थिक विकास का आधार” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन का शुभारंभ किया गया. यह संगोष्ठी भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित रही. संगोष्ठी के प्रथम दिवस के मुख्य अतिथि श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय ऋषिकेश परिसर के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर दिनेश शर्मा मुख्य वक्ता रहें.


कार्यक्रम की पहले सत्र की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो० प्रेमलता कुमारी द्वारा की गई. दीप प्रज्वलन और ईश वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. इस संगोष्ठी की संयोजिका राजकीय महाविद्यालय मंगलौर की अर्थशास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ० रचना वत्स और आयोजन सचिव राजनीति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ० तीर्थ प्रकाश रहें. आज की संगोष्ठी के प्रथम दिवस की शुरुआत राजकीय महाविद्यालय मंगलौर के हिंदी विभाग प्रभारी डॉ० राम भरोसे द्वारा पहले दिन की रिपोर्ट विस्तार से प्रस्तुत की.
इसके बाद कानपुर विश्वविद्यालय के विधि विभाग के शोध छात्र अंशु पांडे द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किया. इसके बाद कार्यकम के विशेष अतिथि श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय ऋषिकेश परिसर के अर्थशास्त्र विभाग से पधारे डॉ० अशोक मंडोला ने महिला उद्यमिता के विषय में विस्तार से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि इस पुरुष समाज में स्त्रियों को अपनी लड़ाई लड़ने के लिए संघर्षमय रहना होगा. महिला उद्यमियों के लिए सरकार कई योजनाओं चलाई जा रही हैं. भारतीय महिला उद्यमी विश्व में एक एक मिशाल बन रही हैं.
पूर्व छात्र श्रवण ने भी इस विषय पर अपनी बात रखी.
अगले विशेष वक्त्ता डोईवाला पीजी कॉलेज देहरादून से डॉ० राखी पंचोला ने महिला और कौशल विकास के विषय में अपने व्यक्तव्य में कहा कि महिलायें अपनी कौशल को परिमार्जित करके ही उद्यमिता के योग्य बन सकते हैं. और हमारा विकास संख्यात्मक नहीं, गुणात्मक होना चाहिए. इसके बाद कार्यकम के विशेष अतिथि राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो० राम अवतार सिंह ने अपने आशीर्वचन में कहा कि महिलाओं को पुरुषों से कंधे से कंधे मिलाकर चलने के लिए उन्हें ख़ुद से आगे बढ़कर आगे आना होगा.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता ने NEP के विषय में बताया कि NEP आज उद्यमिता और कौशल को बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन करती है. उन्होंने अपने व्याख्यान में स्वयं सहायता समूह की महत्ता पर भी विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि भारत की ग्रामीण महिलाओं में हर आठवी महिला किसी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी है.

कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय परिवार द्वारा अतिथियों को स्मृति चिह्न और शाल प्रदान कर उनका धन्यवाद ज्ञापित किया.

इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार में समस्त सदस्य डॉ दीपा, डॉ कलिका, कार्यालय से श्रीमती दीपा जोशी, पुस्तकालय से श्रीमती सर्मिष्ठ, कु० निर्जेश, फैजान, सूर्या, रोहित, सन्नी के साथ महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं भी उपस्थित रहें.