थराली के कोटडीप, राड़ीबगड़ इलाके में आसमान से बरसी आफत ने ऐसा कहर बरपाया कि लोगों की ओर से एक-एक पाई जोड़कर बनाए गए आशियाने हों या गुजर बसर की सामग्री, सब एक पल में ही मलबे से तबाह हो गई। कई आपदा प्रभावित अब बेघर हैं।
चेपड़ों में आए सैलाब में कई लोग भी बह गए थे। मगर उन्होंने हिम्मत दिखाई तो उनकी जान बच गई। पीड़ितों ने बताया कि जब सैलाब में बहे तो उस समय जो लकड़ी, सरिया मिला उसे पकड़ लिया। लोगों को कहना है कि दस सेकेंड में ही पूरा बाजार खत्म हो गया।


तहसील प्रशासन के अनुसार यहां करीब 63 अधिक दुकान और मकान क्षतिग्रस्त है। चेपड़ों के युवक मंगल दल अध्यक्ष भरत सिंह ने बताया कि शुक्रवार की रात्रि को वो भी बाजार में थे। कहा कि इस दौरान लोग अपनी दुकानों को खाली और वाहनों को हटा ही रहे थे कि गदेरे से सैलाब आबादी की ओर हो गया और दस गिनने में जितना समय लगता है उतने में कई लोग बहने लगे। वो खुद एक सरिया पकड़ कर किनारे हुए।
घायल देवी जोशी का कहना है कि वो दस मीटर तक सैलाब में बहे। इस दौरान सैलाब मेें बहते अपने पिता को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की लेकिन पिता सैलाब में लापता हो गए।

उनके अलावा जो सैलाब में बचे उनके हाथ सरिया, पत्थर, बोल्डर जो भी लगा उसे पकड़ कर जान बचाई। यदि कुछ हाथ नहीं आता तो शायद मलबा उनको निगल जाता।
चेपड़ों के आपदा प्रभावित और पूर्व जिपंस देवी जोशी ने प्रशासन से अपने पिता को खोजने की गुहार लगाई है।
उन्होंने सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ सहित अन्य सुरक्षा बलों से रेसक्यू अभियान में तेजी लाने की मांग भी की है।