बिजली का ‘करंट’ जेब पर! अब हर महीने लगेगा ‘झटका’, इस राज्य में महंगी हुई बिजली

उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए बुरी खबर है। अप्रैल महीने से प्रदेश में बिजली महंगी हो गई है। आपके बिजली बिल में अब एक नया शुल्क जुड़ गया है – ईंधन और ऊर्जा खरीद समायोजन अधिभार (एफपीपीएएस)। यह पहली बार है कि बिजली बिलों में इस तरह का शुल्क लगाया जा रहा है और इसका मतलब है कि आपको अपनी बिजली के इस्तेमाल के लिए अब ज्यादा पैसे चुकाने होंगे।

सीधे शब्दों में कहें तो अगर आपका बिजली का बिल आमतौर पर 1000 रुपये आता है तो इस नए शुल्क के कारण आपको 12.40 रुपये अतिरिक्त देने पड़ेंगे। पिछले पांच सालों में यह पहला मौका है जब प्रदेश में बिजली की दरों में इस तरह की बढ़ोतरी की गई है।

यह बदलाव बहुवार्षिक टैरिफ वितरण विनियमन 2025 में किए गए संशोधन के कारण हुआ है। इस नए नियम के तहत अब वर्ष 2029 तक हर महीने उपभोक्ताओं से ईंधन अधिभार शुल्क वसूला जाएगा। विद्युत नियामक आयोग ने इस नियम में बदलाव किया है और इसका असर आपको अप्रैल के महीने के बिल में साफ दिखाई देगा। पॉवर कॉर्पोरेशन ने जब जनवरी महीने के ईंधन खर्च का हिसाब लगाया तो उन्हें 78.99 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आया। अब यह पैसा उपभोक्ताओं से वसूला जाएगा।

महंगाई करेगी बिजली की दरों पर राज

पहले प्रदेश में ईंधन अधिभार की दरें निश्चित थीं। यही कारण था कि टैरिफ लागू होने के बाद भी पांच साल तक बिजली की कीमतें नहीं बढ़ीं लेकिन अब बहुवार्षिक टैरिफ वितरण विनियमन 2025 लागू होने के बाद हर महीने ईंधन अधिभार की दर तय की जाएगी। इसका सीधा मतलब है कि डीजल, पेट्रोल और कोयले की बढ़ती कीमतों के अनुसार ही यह नया शुल्क (एफपीपीएएस) तय होगा।

इसलिए जैसे-जैसे डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ेंगे वैसे-वैसे आपकी बिजली भी महंगी होती जाएगी। जिस रफ्तार से तेल की कीमतें आसमान छूएंगी, उसी तेजी से बिजली के बिल भी बढ़ेंगे और इसका सीधा बोझ आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा। यह बदलाव आने वाले समय में आपके घर के बजट पर एक बड़ा असर डाल सकता है।

NEWS SOURCE Credit : punjabkesari