स्टडी के मुताबिक कब्ज से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप गूगल पर कब्ज और दिल का दौरा जैसे शब्दों के बारे में जानकारी हासिल करना चाहेंगे तो एल्विस प्रेस्ली का नाम सामने आने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। एल्विस को लंबे समय से पुरानी कब्ज की शिकायत थी और ऐसा माना जाता है कि वो मलत्याग करने के लिए बहुत जोर लगा रहा था, जिसके बाद उसे घातक दिल का दौरा पड़ा। हम नहीं जानते कि 1977 में तथाकथित किंग ऑफ रॉक ‘एन’ रोल के साथ वास्तव में क्या हुआ था। उनकी मृत्यु में संभवतः कई योगदान कारक थे और ये सिद्धांत कई कारकों में से एक है। लेकिन इस प्रसिद्ध मामले के बाद रिसर्चर्स ने कब्ज और दिल के दौरे के जोखिम के बीच संबंध में गहरी दिलचस्पी दिखाई। इसमें ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चर्स के नेतृत्व में एक हालिया अध्ययन शामिल है जिसमें हजारों लोगों का डेटा लिया गया है।
क्या कब्ज और दिल का दौरा एक दूसरे से जुड़े हुए हैं?
बड़ी आबादी के अध्ययन से पता चलता है कि कब्ज दिल के दौरे के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है। उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया के एक अध्ययन में 60 वर्ष से अधिक उम्र के 5,40,000 से अधिक लोगों को शामिल किया गया, जिन्हें विभिन्न स्थितियों के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसमें पाया गया कि कब्ज वाले मरीजों में उसी उम्र के गैर-कब्ज वाले मरीजों की तुलना में हाई ब्लड प्रेशर, दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा अधिक था। अस्पतालों और अस्पताल के आउट पेशेंट क्लीनिकों के 9,00,000 से अधिक लोगों पर किए गए एक डेनिश अध्ययन में ये भी पाया गया कि जिन लोगों को कब्ज था, उनमें दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ गया था। हालांकि, ये स्पष्ट नहीं था कि क्या कब्ज और दिल के दौरे और स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम के बीच ये संबंध अस्पताल के बाहर स्वस्थ लोगों के लिए सही होगा। इन ऑस्ट्रेलियाई और डेनिश अध्ययनों में हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाइयों के प्रभावों को भी शामिल नहीं किया गया, जिससे आपको कब्ज हो सकता है।
नई स्टडी का खुलासा
मोनाश विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स के नेतृत्व में हाल ही में किए गए अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में कब्ज और सामान्य आबादी में दिल के दौरे, स्ट्रोक और हार्ट फेल होने के बढ़ते जोखिम के बीच संबंध पाया गया है। रिसर्चर्स ने यूके बायोबैंक के डेटा का विश्लेषण किया, जो यूनाइटेड किंगडम में लगभग पांच लाख लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जानकारी का एक डेटाबेस है। रिसर्चर्स ने कब्ज के 23,000 से अधिक मामलों की पहचान की और हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए दवाइयों के प्रभाव का हिसाब लगाया, जिससे कब्ज हो सकता है। कब्ज से पीड़ित लोगों में बिना कब्ज वाले लोगों की तुलना में दिल का दौरा, स्ट्रोक या हार्ट फेल होने की संभावना दोगुनी थी। रिसर्चर्स ने हाई ब्लड प्रेशर और कब्ज के बीच एक मजबूत संबंध पाया। हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित जिन लोगों को कब्ज की भी शिकायत थी, उनमें केवल हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों की तुलना में हृदय संबंधी किसी बड़ी घटना का जोखिम 34% अधिक था। अध्ययन में केवल यूरोपीय वंश के लोगों के डेटा को देखा गया। हालांकि, ये मानने का अच्छा कारण है कि कब्ज और दिल के दौरे के बीच का संबंध अन्य आबादी पर भी लागू होता है।
क्या कहता है जापानी अध्ययन?
एक जापानी अध्ययन में सामान्य आबादी में 45,000 से अधिक पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया। इसमें पाया गया कि जो लोग हर दो से तीन दिन में एक बार मल त्याग करते हैं, उनमें हृदय रोग से मरने का जोखिम उन लोगों की तुलना में अधिक होता है, जो दिन में कम से कम एक बार मल त्याग करते हैं।
कब्ज दिल के दौरे का कारण कैसे बन सकता है?
पुरानी कब्ज के कारण मल त्यागते समय जोर लगाना पड़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप सांस लेने में कठिनाई हो सकती है और ब्लड प्रेशर में वृद्धि हो सकती है। दस बुजुर्ग लोगों पर किए गए एक जापानी अध्ययन में, मल त्याग करने से ठीक पहले ब्लड प्रेशर हाई था और मल त्याग के दौरान भी बढ़ना जारी रहा। ब्लड प्रेशर में ये वृद्धि उसके बाद एक घंटे तक रही। ये पैटर्न युवा जापानी लोगों में नहीं देखा गया। एक थ्योरी ये है कि वृद्ध लोगों में एथेरोस्क्लेरोसिस और अन्य उम्र से संबंधित परिवर्तनों के कारण ब्लड वेसेल्स सख्त हो जाती हैं। इसलिए उनका हाई ब्लड प्रेशर तनाव के बाद कुछ समय तक बना रह सकता है। लेकिन युवा लोगों का ब्लड प्रेशर जल्दी सामान्य हो जाता है क्योंकि उनके ब्लड वेसेल्स अधिक लचीले होते हैं। जैसे ही ब्लड प्रेशर बढ़ता है, हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। हृदय रोग विकसित होने का जोखिम तब दोगुना हो जाता है, जब सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर स्थायी रूप से 20 एमएमएचजी बढ़ जाता है। मल त्यागने में तनाव के साथ सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर में वृद्धि 70 एमएमएचजी तक होने की सूचना मिली है। ये वृद्धि केवल अस्थायी है लेकिन पुरानी कब्ज में लगातार तनाव के कारण दिल के दौरे का खतरा बढ़ सकता है।
पुरानी कब्ज से पीड़ित लोग हो जाएं सावधान
पुरानी कब्ज से पीड़ित कुछ लोगों की वेगस नर्व की फंक्शनिंग खराब हो सकती है, जो पाचन, हृदय गति और श्वास सहित विभिन्न शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करती है। स्टडी का एक और दिलचस्प तरीका कब्ज से पीड़ित लोगों में गट बैक्टीरिया में असंतुलन की जांच करता है। इस असंतुलन, जिसे डिस्बिओसिस के रूप में जाना जाता है, के परिणामस्वरूप जर्म्स और अन्य पदार्थ आंत अवरोध के माध्यम से ब्लड फ्लो में लीक हो सकते हैं और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकते हैं। इसकी वजह से ब्लड सर्कुलेशन में सूजन हो सकती है और आर्टरीज सख्त हो सकती हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। इस लेटेस्ट स्टडी में कब्ज और हृदय रोग के बीच जेनेटिक रिलेशनशिप का भी पता लगाया गया है। रिसर्चर्स ने साझा जेनेटिक कारकों का पता लगाया, जो कब्ज और हृदय रोग दोनों का कारण बनते हैं।
बचाव के लिए क्या कर सकते हैं?
कब्ज से 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र की वैश्विक आबादी का लगभग 19% प्रभावित है। इसलिए आबादी के एक बड़े हिस्से में उनके आंत्र स्वास्थ्य के कारण हृदय रोग का खतरा बढ़ गया है। डाइट में परिवर्तन, फिजिकल एक्टिविटी में वृद्धि, पर्याप्त पानी पीना और यदि आवश्यक हो तो दवाइयों का उपयोग करके पुरानी कब्ज को मैनेज कर इंटेस्टाइनल फंक्शन्स में सुधार करने और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद करने के सभी महत्वपूर्ण तरीके हैं।
NEWS SOURCE Credit : indiatv