आज पूरे उत्तराखंड में पारंपरिक आस्था और उल्लास के साथ बिरुड़ पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है।
लोक मान्यताओं के अनुसार “बिरुड़” का अर्थ है – भीगी हुई दालें और स्थानीय अनाज, जिसमें गेहूं, मक्का, मटर, जौ, कलूँ, गुरुंश, चना और सरसों आदि शामिल हैं। इन्हें दो से तीन दिन भिगोकर भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को भूनकर प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया जाता है।

किंवदंती के अनुसार बिरुड़ गमरा यानी माता पार्वती का प्रिय “कल्यो” है। परंपरा के मुताबिक भादो मास की शुक्ल सप्तमी को माता पार्वती कैलाश पर्वत से अपने मायके हिमालय आती हैं। आठवीं तिथि को भगवान शिव स्वयं उन्हें विदा कराने आते हैं, जिन्हें स्थानीय बोली में महेशर भीना यानी जीजा कहा जाता है।
इसी कारण बिरुड़ पंचमी को गमरा दीदी के आगमन की सूचना माना जाता है। आज के दिन पूरे प्रदेश में घर-घर उनकी पसंद का कल्यो भिगोया जाता है और भक्तगण उनके आगमन का स्वागत करते हैं।
बिरुड़ पंचमी के इस पावन अवसर पर नमस्कार सिटी परिवार आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित करता है।
दीदी पार्वती और भीना महादेव का आशीर्वाद सदा हिमालय और उत्तराखंड पर बना रहे।
🌿 जय हिमाल, जय उत्तराखंड 🌿