कौन हैं प्रेमचंद अग्रवाल ? कैसे बने उत्तराखंड भाजपा के कद्दावर नेता, क्यों दिया मंत्री पद से इस्तीफा

देहरादून: उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ( Premchand Agarwal) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है । प्रेमचंद अग्रवाल उत्तराखंड भाजपा के कद्दावर नेता माने जाते हैं। देश के सबसे बड़े छात्र संगठन अभाविप से उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत की और छोटे-बड़े पदों पर सेवा देते हुए प्रेमचंद देवभूमि के कैबिनेट मंत्री बनाए गए। यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया। आज हम उसी के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।

ABVP से राजनीतिक जीवन की शुरूआत

साल 1980 के दशक में प्रेमचंद अग्रवाल ( Premchand Agarwal ) ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। उन्हें देश के सबसे बड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के डोईवाला इकाई का अध्यक्ष बनाया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने छात्रों को अभाविप से जुड़ने के लिए काफी ज्यादा प्रेरित किया। जिसके चलते साल 1984 में उन्हें डीएवी पीजी कॉलेज के अभाविप इकाई के महासचिव नियुक्त किया गया है। संगठन में युवाओं की भागदारी बढ़ाने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण कदम उठाए।

1996 में देहरादून BJP के जिला अध्यक्ष बने

छात्र राजनीति में सफल पारी खेलने के बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा और भारतीय जनता पार्टी में इनकी एंट्री हुई। जहां, वो भाजपा के कई बडे़ राजनेताओं के संपर्क में आए और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनान में कामयाब रहे। इस दौरान वे कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे और उस जमाने के बडे़ नेताओं के नजर में आएं। इस दौरान साल 1996 से लेकर 2000 तक वे देहरादून भाजपा के जिला अध्यक्ष के पद पर भी रहे। साल 2003 में उन्हें व्यापार प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।

2007 में पहली बार बने विधायक

साल 2003 तक प्रेमचंद अग्रवाल ( Premchand Agarwal ) ने उत्तराखंड भाजपा में अच्छी पहचान बना ली थी। देहरादून भाजपा के जिलाध्यक्ष बनने का उन्हें काफी ज्यादा फायदा हुआ। उत्तराखंड के बाहर भी लोग उन्हें जानने और पहचानने लगे। उत्तराखंड राज्य आंदोलन में भी वो सक्रिय रहे। जिसके चलते उनकी लोकप्रियता में भारी इजाफा हुआ और इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए साल 2007 में पहली बार भाजपा ऋषिकेश विधानसभा सीट से टिकट दिया गया। जहां उन्होंने भारी मतों से विजय हासिल की।

ऋषिकेश में प्रेमचंद का एकछत्र राज

प्रेमचंद अग्रवाल ( Premchand Agarwal) उत्तराखंड के तेज तर्रार नेताओं में शुमार है। साल 2007 में ऋषिकेश विधानसभा सीट से विधायक बने और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हालांकि अपने बयानों के चलते वे हमेशा चर्चा में रहे है। 2007 के बाद 2012, 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में बंपर वोटों से ऋषिकेश विधानसभा सीट से जीत हासिल की। उनके विरोधी बदलते गए लेकिन प्रेमचंद अग्रवाल को ऋषिकेश से कोई हरा नहीं पाया। उन्होंने सरकार में संसदीय संचिव भी बनाया गया। प्रेमचंद अग्रवाल उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके है।

क्यों दिया इस्तीफा ?

बता दें कि बीते दिनों बजट सत्र के दौरान प्रेमचंद अग्रवाल ( Premchand Agarwal) ने पहाड़ी लोगों के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी की थी। जिसके चलते उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के साथ-साथ समाजिक संगठनों ने भी उनके बयान के खिलाफ प्रदर्शन किया था। जगह-जगह प्रेमचंद का पुतला फूंका गया। सीएम धामी ने ऐसे बयान देने वालों को नेताओं को चेतावनी दी थी । भाजपा अध्यक्ष ने भी प्रेमचंद की कड़ी आलोचना की थी। जिसके बाद से ही उनके मंत्री पद से इस्तीफा देने की बातें चल रही थी।

NEWS SOURCE Credit : lalluram