करवा चौथ का त्योहार बेहद शुभ माना गया है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए कठिन व्रत का पालन करती हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल यह व्रत 20 अक्टूबर को रखा जाएगा। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से जीवन में शुभता आती है। इसके साथ ही अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और पति की दीर्घायु के लिए हर साल महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं। यह व्रत पति-पत्नी का एक-दूसरे के प्रति समर्पण और प्रेम का प्रतीक है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं। फिर शाम को छलनी से चंद्रमा और अपने पति को देखकर व्रत खोलती हैं।
वहीं, इस व्रत को लेकर कई सारी मान्यताएं हैं, जिनमें से एक का जिक्र हम करेंगे, आइए जानते हैं।
क्या पति भी रह सकते हैं करवा चौथ का व्रत?
करवा चौथ का व्रत बेहद पावन माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति के लिए व्रत रखती हैं। उनकी लंबी उम्र के लिए भूखी प्यासी रहकर कठोर व्रत का पालन करती हैं,
तो वहीं कुछ पति अपने पत्नियों के लिए इस उपवास का पालन करते हैं, लेकिन लोगों के मन शंका बनी रहती है कि क्या इस व्रत का पालन करना चाहिए या नहीं?
तो जानकारी के लिए बता दें कि पतियों का पत्नी के लिए करवा चौथ का व्रत रखने में कोई बुराई नहीं है। बल्कि इस व्रत के प्रभाव से रिश्ते में मिठास बढ़ती है। साथ ही वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।
इसके अलावा परिवार में संपन्नता बनी रहती है। हालांकि इसका शास्त्र में कहीं भी उल्लेख नहीं है,
लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को पति भी बिना झिझक रख सकते हैं।
करवा चौथ का महत्व
पत्नी की शक्ति और अपने पति के प्रति समर्पण का प्रतिनिधित्व करती है।
यह विपरीत परिस्थितियों में अटूट प्यार, विश्वास और दृढ़ संकल्प की शक्ति का प्रतीक है। करवा चौथ का व्रत करने से पति-पत्नी के बीच का रिश्ता मजबूत होता है और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।
इस दिन महिलाएं विभिन्न प्रकार के पूजा अनुष्ठान का पालन करती हैं। साथ ही भक्तिपूर्वक इस दिन की सभी रस्मों को निभाती हैं।