देहरादून : प्रदेश में कई जगहों पर गरम पानी के स्रोत उपलब्ध हैं। इन प्राकृतिक गरम पानी के स्रोतों का उपयोग अब बिजली उत्पादन के लिए किया जाएगा। Electricity will be produced from hot springs
आपने अक्सर देखा होगा उत्तराखंड में कई जगह ऐसी हैं जहाँ पर तप्तकुण्ड पाए जाते हैं इसक्रम में मुख्यतः बदरीनाथ और यमुनोत्री में तप्तकुण्ड हैं जहाँ पर कड़कड़ाती ठण्ड में भी पानी गर्म रहता है और लोग इसमें स्नान करते हैं। प्रदेश में कई जगहों पर गरम पानी के स्रोत उपलब्ध हैं। उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में ऐसे विभिन्न जगह हैं जहाँ पर जमीन की सतह के भीतर पानी का तापमान काफी अधिक होता है। Electricity will be produced from hot springs
इन प्राकृतिक गरम पानी के स्रोतों का उपयोग अब बिजली उत्पादन के लिए किया जाएगा। वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. कालाचांद सांई ने बताया कि इस कार्य के लिए संस्थान द्वारा एक बायनरी पावर प्लांट स्थापित की जाएगी। इस प्लांट में जियो थर्मल एनर्जी का उपयोग किया जाएगा जिससे बिजली बनेगी। हाल ही में संस्थान के वैज्ञानिकों ने आइसलैंड से इस तकनीक का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। Electricity will be produced from hot springs
इस प्रक्रिया से बनती है बिजली
इस तकनीक के तहत गरम पानी के स्रोत के स्थान पर ड्रिलिंग की जाती है। यहां जमीन के अंदर पानी का तापमान 100 से 140 डिग्री सेल्सियस तक होता है। इसके बाद ऊपर से 70 से 80 डिग्री सेल्सियस तापमान के पानी को गिराया जाता है। इससे तेज गति से भाप उत्पन्न होता है और यही भाप टरबाइन को प्रेरित करता है, जिससे वह तेजी से घुमकर बिजली उत्पन्न करता है। Electricity will be produced from hot springs
इस काम को करने के लिए पूरी मशीनरी तैयार की जाती है, खासकर टरबाइनों को इंस्टॉल करने के लिए। फिलहाल तपोवन में 20 मेगावाट तक की बिजली उत्पादन की जा रही है। इस तकनीक के माध्यम से प्रदेश भर में 10 हजार मेगावाट तक की बिजली उत्पादन का लक्ष्य है। Electricity will be produced from hot springs
बिजली उत्पादन में होगी बढ़ोतरी
वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. कालाचांद सांई ने बताया कि भविष्य में इस प्रोजेक्ट को सोलर के साथ हाइब्रिड तकनीक से जोड़कर उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना है। इससे पावर प्रोजेक्ट की उत्पादन क्षमता में कई गुना वृद्धि का अनुमान है। Electricity will be produced from hot springs