राज्यसभा सांसद डॉ. कल्पना सैनी ने धराली आपदा प्रभावितों की सहायता हेतु मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ रुपये एवं अपना एक माह का वेतन दान किया

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में हाल ही में आई भीषण प्राकृतिक आपदा ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। लगातार बारिश, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाओं ने यहां जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया, जिसके कारण घर, सड़कें, पुल और बुनियादी ढांचा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है। इस आपदा ने न केवल भौतिक संपत्तियों को नष्ट किया, बल्कि सैकड़ों परिवारों को विस्थापित भी कर दिया।

इस कठिन समय में राज्य सरकार और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राहत एवं बचाव कार्य तेजी से संचालित किए जा रहे हैं। प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित सहायता पहुँचाने, राहत शिविर स्थापित करने और पुनर्निर्माण कार्यों की दिशा में लगातार प्रयास जारी हैं।

राज्यसभा सांसद डॉ. कल्पना सैनी ने आपदा की इस गंभीर स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री धामी और राज्य सरकार के राहत कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में सभी जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संस्थाओं और आम नागरिकों को एकजुट होकर आपदा प्रभावित लोगों की मदद करनी चाहिए।

इसी भावना के तहत डॉ. सैनी ने मुख्यमंत्री राहत कोष में ₹1 करोड़ रुपये का योगदान किया। इसके साथ ही उन्होंने अपना एक माह का वेतन भी मुख्यमंत्री राहत कोष में दान करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह योगदान धराली के पुनर्निर्माण, प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और बुनियादी सुविधाओं की बहाली में सहायक होगा।

डॉ. सैनी ने कहा, “धराली की इस आपदा ने हम सबकी संवेदनाओं को झकझोर दिया है। लेकिन हमें मिलकर इस आपदा को विकास और एकता के अवसर में बदलना होगा। मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में जो त्वरित और संवेदनशील कदम उठाए जा रहे हैं, वे प्रशंसनीय हैं।”

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डॉ. कल्पना सैनी के इस योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उनका यह सहयोग राहत और पुनर्वास कार्यों में नई गति देगा। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों, संगठनों और प्रदेशवासियों से अपील की कि वे भी अपनी क्षमता अनुसार मुख्यमंत्री राहत कोष में योगदान दें।

डॉ. सैनी ने प्रभावित लोगों से हिम्मत और धैर्य बनाए रखने की अपील करते हुए आश्वस्त किया कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर हर संभव सहायता प्रदान करेंगी। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि धराली न केवल अपने पुराने स्वरूप में लौटेगा, बल्कि भविष्य में और अधिक सुरक्षित और विकसित स्वरूप में सामने आएगा।