आईआईटी रुड़की के अन्वेषकों द्वारा विकसित माइक्रोबियल कंसोर्टियम प्रदूषित जल उपचार के लिए स्थायी समाधान प्रदान करता है

आईआईटी रुड़की, उत्तराखंड, 21 अगस्त, 2025 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने जेएस एक्वेरिटिन ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को एक नवीन जल उपचार प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक लाइसेंस प्रदान किया है, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता एंव प्रौद्योगिकी-संचालित सामाजिक प्रभाव के प्रति इसकी प्रतिबद्धता और मजबूत हुई है।
आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर हिमांशु जोशी और डॉ. मोनिका साइमन द्वारा “प्रदूषित जल से प्रमुख कार्बनिक प्रदूषकों एंव पोषक तत्वों को एक साथ हटाने के लिए एक सूक्ष्मजीव संघ” शीर्षक से लाइसेंस प्राप्त नवाचार विकसित किया गया है। यह तकनीक विशेष रूप से तैयार किए गए सूक्ष्मजीव संघ का उपयोग करके प्रदूषित जल के उपचार के लिए एक प्रभावी एंन पर्यावरण-अनुकूल समाधान प्रदान करती है। इसमें संघ की तैयारी और अनुप्रयोग के लिए एक नवीन विधि भी शामिल है, जो अपशिष्ट जल से कार्बनिक प्रदूषकों और अतिरिक्त पोषक तत्वों को कुशलतापूर्वक हटाने में सक्षम बनाती है।
इस विकास पर बोलते हुए, प्रमुख आविष्कारक प्रो. हिमांशु जोशी ने कहा, “यह तकनीक वर्षों के शोध का परिणाम है जिसका उद्देश्य प्रदूषित सतही जल (नालियाँ, छोटी नदियाँ, तालाब, झीलें आदि) के त्वरित उपचार हेतु टिकाऊ, पर्यावरण-अनुकूल और लागत-प्रभावी जैविक उपाय खोजना है। प्रदूषित सतही जल निकायों के पूर्ण पैमाने पर उपचार हेतु एक एकीकृत दृष्टिकोण एक दीर्घकालिक प्रस्ताव है जिसमें उच्च लागत शामिल है। इसके अलावा, इस तकनीक का उपयोग अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों के प्रदर्शन में सुधार के लिए भी किया जा सकता है। हमें विश्वास है कि इसके कार्यान्वयन से सतही जल निकायों के चरणबद्ध पुनरुद्धार की दिशा में एक अत्यंत आवश्यक समाधान प्राप्त होगा और जल संसाधनों के संरक्षण में सार्थक योगदान मिलेगा।”

जेएस एक्वेरिटिन ग्लोबल कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के श्री सुनील नंदा ने नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा, “हम आईआईटी रुड़की के साथ इस साझेदारी को महत्व देते हैं और इस उन्नत समाधान को अमल में लाने के लिए तत्पर हैं। यह स्थायी जल प्रबंधन के लिए विज्ञान-संचालित तकनीकों को अपनाने के हमारे मिशन के साथ पूरी तरह से मेल खाता है।”
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने इस विकास की सराहना करते हुए कहा, “यह तकनीक अत्याधुनिक अनुसंधान के माध्यम से वास्तविक दुनिया के समाधान प्रदान करने के आईआईटी रुड़की के मिशन का उदाहरण है। इस पर्यावरण-सचेत नवाचार का हस्तांतरण स्थायी औद्योगिक प्रथाओं का समर्थन करने और पर्यावरणीय स्वास्थ्य में सुधार के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
आईआईटी रुड़की के कुलशासक (प्रायोजित अनुसंधान एवं औद्योगिक परामर्श) प्रो. विवेक के. मलिक ने कहा, “हमें इस प्रभावशाली तकनीक को उद्योग द्वारा आगे बढ़ाते हुए देखकर गर्व हो रहा है। इस तरह की साझेदारियाँ न केवल प्रयोगशाला और बाज़ार के बीच की खाई को पाटती हैं, बल्कि गहन तकनीकी अनुसंधान को तत्काल पर्यावरणीय चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने में भी सक्षम बनाती हैं।”
लाइसेंसिंग प्रक्रिया का नेतृत्व आईआईटी रुड़की के इनोवेशन एवं इनक्यूबेशन एवं आईपीआर सेल के सह कुलशासक, प्रो. एस. आर. मेका ने किया। यह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, प्रभावशाली शैक्षणिक-उद्योग साझेदारी को गति देने और प्रयोगशाला से लेकर वास्तविक दुनिया में स्थायी प्रौद्योगिकियों के उपयोग को बढ़ावा देने के आईआईटी रुड़की के प्रयासों में एक और सफल अध्याय का प्रतीक है।