प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्याचार्य प्रेमचन्द होम्बल जी ने शनिवार को लखनऊ में स्थित मेदांता अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली। वे कुछ समय से बीमार चल रहे थे और अस्पताल में इलाज चल रहा था। उनका पार्थिव शरीर रविवार को वाराणसी लाया जाएगा, जहाँ उनके निवास स्थान पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। गुरु प्रेमचन्द होम्बल ने पहले से ही अपने शरीर को चिकित्सकीय शिक्षा के लिए समर्पित करने का संकल्प लिया था। उनके इस संकल्प के अनुसार उनके परिजन उनका देहदान बीएचयू (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) के आयुर्विज्ञान संस्थान (IMS-BHU) को करेंगे।

सम्मान और योगदान
गुरु प्रेमचन्द होम्बल को भरतनाट्यम और नाट्यशास्त्र के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया। वर्ष 2000 में उन्हें उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ। वर्ष 2021 में उन्हें राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के संगीत एवं मंचकला संकाय में लगभग 37 वर्षों तक अध्यापन किया और इस दौरान वे विभागाध्यक्ष भी रहे। उन्होंने अनेक नाटकों और बैले की कोरियोग्राफी, निर्देशन और अभिनय भी किया।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
प्रेमचन्द होम्बल के पिता पंडित शंकर होम्बल स्वयं एक प्रसिद्ध भरतनाट्यम कलाकार थे। उन्हें वर्ष 1997 में भरतनाट्यम के क्षेत्र में शिखर सम्मान प्राप्त हुआ था। पिता के मार्गदर्शन और कला परंपरा को प्रेमचन्द होम्बल ने आगे बढ़ाया और इस शास्त्रीय नृत्य के प्रचार-प्रसार में अपना जीवन समर्पित किया।
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