देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि से भगवान विष्णु के योग निद्रा में चले जाते हैं। इसके बाद वह कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी पर पुनः निद्रा से जागते हैं। इन दोनों एकादशी के बीच की अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। एकादशी पर चौमुखी दीप प्रज्वलित करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं इसकी विधि।
मिलते हैं ये लाभ
असल में चारमुखी दीये को चातुर्मास का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में यदि देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु के समक्ष चौमुखी या चार मुखी दीपक जलाने से उनकी कृपा हमेशा आपके परिवार पर बनी रहती है। साथ ही इस दीपक को जलाने से नकारात्मकता का भी घर में प्रवेश नहीं होता और यह ग्रहों की बाधा को भी दूर करने में सहायता करता है।
इस तरह जलाये दीपक
चौमुखी दीपक की बाती चारों दिशाओं यानी पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में समान रूप से रोशनी देती हैं, इसलिए इस दीपक को सभी दिशाओं में सुख और शांति का प्रतीक के रूप में देखा जाता है। ऐसे में देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा के दौरान उनके समक्ष चार मुखी दीपक जरूर जलाना चाहिए।
इसके लिए सबसे पहले एक मिट्टी के दीपक में सरसों का तेल डालें और रुई की दो बाती बनाएं। इन बातियों को दीपक में इस प्रकार रखें कि इनके मुख चारों दिशाओं में हो। अब देवी-देवताओं का ध्यान करते हुए दीपक को जलाएं और इसके सामने फल और फूल अर्पित करें।
इस तरह भी जला सकते हैं दीपक
आप चाहें, तो आटे का दीपक बनाकर भी चौमुखी दीपक विष्णु जी के समक्ष जला सकते हैं। घर के मंदिर के साथ-साथ आप अपने घर के मुख्य द्वार पर भी चौमुखी दीपक जला सकते हैं। इससे धन की देवी लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और साधक पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं।
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NEWS SOURCE : jagran